आपका RDW Test ज्यादा या कम है तो इसका क्या मतलब है | RDW Blood Test in Hindi

एक प्रकार के रक्त परीक्षण को RDW Blood Test के नाम से जानते है। इस टेस्ट द्वारा ब्लड की सामान्य सिमा मापी जाती है। RDW का फुल फॉर्म रेड सेल डिट्रिब्यूशन विड्थ (Red Cell Distribution Width) होता है।

आपका RDW Test ज्यादा या कम है तो इसका क्या मतलब है RDW Blood Test in Hindi

RDW टेस्ट के माध्यम से रक्त में मौजूद एरिथ्रोसाइट्स (रेड ब्लड सेल्स) के आकार का परीक्षण किया जाता है। खास कर एनीमिया जैसी खून से सम्बंधित बीमारियों में यह टेस्ट उपयोगी है।

यदि RDW का प्रमाण ज़्यादा है, तो इससे निचे दर्शाए रोग हो सकते है।

  • एनीमिया
  • न्यूट्रोपेनिया
  • थैलेसीमिया

आमतौर पर RDW की सामान्य रेंज 11.5% से 14.5% के बीच में होती है। इस स्तर में बदलाव आने पर रक्त से जुड़े रोग होने की संभावना रहती है। RDW टेस्ट द्वारा रक्त में क्या कमी या विकार है यह जान सकते है।

RDW Test का क्या मतलब है (RDW Blood Test in Hindi)

शरीर में मौजूद रक्त कोशिकाओं के कद मापन में किए जाते परीक्षण को RDW Test कहा जाता है। इसके द्वारा जाना जाता है की सबसे बड़ा और सबसे छोटा ब्लड सेल कौनसा है या रक्त कोशिकाओं की मात्रा कितनी है।

सामान्य रूप से रक्त कोशिकाओं का कद 6.2 से 8.2 माइक्रोमीटर के बीच होता है। उच्च RDW का मतलब है कि लाल रक्त कोशिकाओं का आकार असामान्य रूप से भिन्न या बड़ा है।

अगर शरीर में RDW का प्रमाण कम है, तो इससे स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। इसे RDW की बिलकुल सामान्य परिस्थिति मानी जाती है।

इस टेस्ट के दौरान व्यक्ति के ब्लड का एक सेम्पल लिया जाता है। उस सेम्पल पर स्वास्थ्य निष्णांतो द्वारा कुछ जांच की जाती है। जिस द्वारा RDW के बारे में पता लगता है।

कहा जाता है की RDW टेस्ट द्वारा किडनी रोग, थायराइड विकार और कुपोषण का पता भी लगाया जा सकता है। यह एक सामान्य मेडिकल टेस्ट है, जिसका पूरा नाम रेड सेल डिट्रिब्यूशन विड्थ है।

RDW टेस्ट क्यों किया जाता है

विशेष रूप से शरीर में रही लाल रक्त कोशिकाओं के मापन के लिए रेड सेल डिस्ट्रीब्यूशन विड्थ (RDW) टेस्ट किया जाता है। टेस्ट द्वारा कोशिकाओं के कद और उनकी मात्रा की सही जानकारी प्राप्त होती है।

यदि आप में निचे दर्शाई बीमारिया है तो इस टेस्ट की आवयश्कता पड़ती है।

  • लिवर डिजीज
  • हार्ट डिजीज
  • डायबिटीज
  • कैंसर
  • थैलासीमिया

इसके आलावा निचे दर्शाई परिस्थितियों के दौरान RDW टेस्ट किया जाता है।

  • यदि किसी व्यक्ति के शरीर में संक्रमण हो तो इस टेस्ट द्वारा पता लग सकता है।
  • शरीर के किसी भी प्रकार के रोग के बारे में जानने के लिए यह टेस्ट करते है।
  • आयरन या विटामिन की कमी के कारण भी इस टेस्ट को करवाते है।
  • हृदय स्वास्थ्य से जुडी परेशानियों की जानकारी के लिए RDW टेस्ट करवाते है।

किन लक्षणों में RDW टेस्ट करवाना जरुरी है

कही बार ऐसा होता है की शरीर में बहुत से लक्षण दीखते है। जो कोई गंभीर समस्या या बीमारी के हो सकते है। इन लक्षणों में आप RDW टेस्ट करवा सकते है। जैसे,

(1) बार-बार चक्कर आना

शरीर में रक्त से जुडी किसी भी प्रकार की परेशानी हो तो, इसमें बार-बार चक्कर आ सकते है। इसके कही कारण हो सकते है। इसमें RDW टेस्ट करवा कर आप परेशानी के बारे में जान सकते है।

(2) थकान या कमजोरी महसूस करना

ज़्यादातर लोग इस परेशानी को सामान्य समझ कर अनदेखा कर देते है। मगर थकान और कमजोरी की समस्या ज़्यादा बढ़ने पर कुछ शारीरिक नुकसान भी हो सकते है।

(3) एनीमिया की परेशानी में

एक प्रकार के खून से संबंधित रोग को एनीमिया कहते है। यदि रक्त में कोई परेशानी हो तो एनीमिया के लक्षण दीखते है। इसकी जांच के लिए RDW टेस्ट करवाना बेहतर है।

(4) आयरन लेवल कम हो सकता है

शरीर में आयरन नाम का पोषक तत्व की कमी होने पर कही रोग हो सकते है। यदि बॉडी में ऐसा कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर के पास जा कर RDW टेस्ट करवाए।

(5) संक्रमण से जुडी परेशानी होना

जब शरीर के रक्त में कुछ खामी हो तो किसी भी तरह का संक्रमण आसानी से शरीर में प्रवेश कर सकता है। संक्रमण की जाँच करवाने के लिए RDW टेस्ट करवाना बेहतर है।

(6) पाचन संबंधी विकार खड़े होना

यदि आहार पचन में मुश्किली होती है और इनके कारण कब्ज, डायरिया, उलटी, मतली, आंतो में सूजन या पेट दर्द जैसे लक्षण दीखते है। यह लक्षण दिखने पर अत्याधिक लोग RDW टेस्ट करवाते है।

(7) श्वसन से जुडी समस्या होना

अयोग्य आहार और असंतुलित जीवन शैली के कारण कही विकार होते है, उनमे से एक है श्वसन संबंधी परेशानी होना। RDW टेस्ट करवाने से आसानी से इस परेशानी का कारण मिल सकता है।

हाई RDW होने के कारण क्या है

यदि आपके शरीर में RDW का प्रमाण ज़्यादा है। तो इसके पीछे कही छोटे बड़े कारण हो सकते है। रक्त कोशिकाओं के आकार और संतुलन में भिन्नता आने के कही कारण हो सकते है। जैसे की,

(1) बचपन से थैलेसीमिया की बीमारी होना

थैलेसीमिया एक रक्त से सम्बंधित बीमारी है जो जन्मजात ही हो जाती है। इस बीमारी के दौरान शरीर में मौजूद लाल रक्त कोशिकाओं का प्रमाण असामान्य रूप से बढ़ जाता है। जिस वजह से ऐसा कहा जाता है ही RDW का लेवल हाई है।

(2) विटामिन बी 12 की कमी के कारण

कुछ विटामिन्स शरीर के लिए बहुत जरूरी होते है, उनमे से एक है विटामिन बी-12। यदि शरीर में विटामिन बी 12 की कमी हो तो इससे कही स्वास्थ्य किय नुकसान हो सकते है। इसकी कमी के कारण RDW का प्रमाण भी बढ़ जाता है।

(3) फोलिक एसिड की कमी होना

फोलिक एसिड शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसके कारण कही कार्य होते है। पर फोलिक एसिड की कमी हो तो इसका सीधा प्रभाव हमारी लाल रक्त कणिकाओं पर पड़ता है। इस वजह से भी RDW ज़्यादा प्रमाण में बढ़ता है।

(4) रक्त संबंधी विकार होने से

अगर शरीर में किसी भी प्रकार का रक्त संबंधी विकार हो तो इससे बहुत से नुकसान हो सकते है। आपका RDW प्रमाण बढ़ने का यह भी एक कारण हो सकता है। इसकी वजह से शरीर में रक्त से जुडी कुछ गंभीर बीमारिया भी हो सकती है।

(5) लिवर से जुडी कोई परेशानी होने पर

लिवर शरीर का एक महतवकीय अंग है, जिसमे परेशानी आने पर कही दिक्क्तों का सामना करना पड़ता है। अगर आपको लिवर से जुडी कोई भी परेशानी है, तो इसकी वजह से RDW का लेवल बढ़ने की संभावना भी रहती है।

(6) कुछ अन्य गंभीर बीमारिया होना

कही बार ऐसा होता है की गंभीर रोगो की वजह से खून में खराबी आ सकती है। जैसे की कैंसर या एनीमिया में रक्त कोशिकाओं का असामान्य गति से बढ़ना। RDW बढ़ने के पीछे व्यक्ति को हुई कुछ गंभीर बीमारिया भी जिम्मेदार हो सकती है।

(7) डायबिटीज का प्रमाण अधिक बढ़ना

मधुमेह के मरीज को RDW बढ़ने का खतरा सबसे ज़्यादा रहता है। क्यों की इस बीमारी के दौरान रक्त में शर्करा का प्रमाण अधिक बढ़ने लगा है। जिस वजह से हमारी लाल रक्त कणिकाओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

RDW का इलाज क्या है (Treatment Of High RDW In Hindi)

शरीर में यदि लाल रक्त कणिकाओं का असंतुलन हो तो इससे रक्त से जुडी परेशानी होती है। ऐसे में सही समय पर इसका योग्य इलाज करना चाहिए।

RDW से जुडी समस्याओ का हल करने के लिए आप निचे दर्शाए उपाय आजमा सकते है।

(1) विटामिन बी 12 के सप्लीमेंट लीजिये

  • विटामिन बी 12 शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है। इसकी कमी के कारण खून से जुड़े विकार होते है।
  • इसकी कमी के कारण एनीमिया हो सकता है इसलिए इसकी कमी पूरी करना जरूरी है।
  • इसके लिए आप विटामिन बी 12 की गोलिया या आहार ले सकते है।
  • शरीर में बहुत ही कम मात्रा में विटामिन बी 12 हो तो इसके इंजेक्शन लगवाना सही है।
  • इसमें आप लाल मांस, टूना मछली, सैलमन मछली, बादाम का दूध, दही, चीज़, अंडे जैसे खुराक लीजिये।

(2) आयरन सप्लीमेंट लेना उत्तम है

  • बच्चो से लेकर वयस्कों तक हर किसी में आयरन नाम का पोषक तत्व होना जरूरी है।
  • आयरन की कमी होने पर बहुत से रोग होने की संभावना रहती है।
  • इसलिए आयरन की कमी पूर्ण करने के लिए आप गोलिया ले सकते है।
  • कही पौष्टिक आहार द्वारा भी आसानी से आयरन की कमी पूरी की जा सकती है।

(3) RDW बढ़ने का मूल कारण पता लगाए

  • रक्त में RDW बढ़ने के कही कारण हो सकते है। यदि कारण पता लग जाए तो इससे इसका उपचार करने में सरलता रहती है।
  • इसका मूल कारण जानने के बाद डॉक्टर के पास जा कर इसका इलाज करवाए।
  • जैसे की यदि शरीर में एनीमिया हो तो आयरन की कमी पूरी करना सही है।
  • यदि परेशानी शुरूआती तोर पर हो तो इसका घरेलु इलाज भी किया जा सकता है।

(4) किडनी समस्या का इलाज करवाए

  • कही बार ऐसा होता है की RDW बढ़ने के पीछे किडनी रोग भी जिम्मेदार होते है।
  • अगर आपके शरीर में RDW बढ़ने का कारण किडनी रोग है तो उसकी गंभीरता अनुसार उपचार करे।
  • इसमें आप किडनी रोग की दवाई और ट्रीटमेंट ले सकते है।
  • इस तरह से आरडीडब्ल्यू का प्रमाण कम किया जा सकता है।

(5) हाइपोथायराइडिज्म का उपचार शुरू करे

  • थाइरोइड ग्रंथि में आयी कमी की वजह से हाइपोथायराइडिज्म नाम का रोग होता है।
  • हाइपोथायराइडिज्म का बुरा प्रभाव रक्त कोशिकाओं पर पड़ता है और RDW का प्रमाण बढ़ जाता है।
  • स्वास्थ्य निष्णांत के पास जा कर आप हाइपोथायराइडिज्म का इलाज करवा सकते है।
  • इसके कारण आए विकार भी आरडीडब्ल्यू का प्रमाण सही होने पर ठीक हो जाते है।

(6) आहार शैली में सुधार लाए

  • यदि आप अपनी आहार शैली में सुधार लाए तो इससे कही रोगो से बचा जा सकता है।
  • शरीर में जब RDW का प्रमाण बढ़ जाए तब कुछ हेल्थी आहार लेना गुणकारी है।
  • इसके लिए पौष्टिक तत्वों से युक्त संतुलित आहार लेना बिलकुल उत्तम है।

इसके लिए आप यहाँ दर्शाए आहार ले सकते है।

  • आयरन से भरपूर चीज़ें : बीफ, मछली, सोयाबीन, डालें, सब्ज़ियाँ आदि।
  • विटामिन C से भरपूर फल और सब्ज़िया : संतरा, नींबू, आम, सेब, स्ट्राबेरी, ब्रोकली आदि।
  • विटामिन बी12 से भरपूर फ़ूड : डेयरी प्रोडक्ट्स, अंडे, मशरूम, सोयाबीन।
  • फ़ोलेट से भरपूर फ़ूड : हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ, गेहूँ के आटे की चीज़ें, बीन्स।
  • एंटीऑक्सीडेंट वाले फ़ूड : बेरीज़, टमाटर, नट्स।
  • प्रोटीन युक्त भोजन : दालें, दही, अंडा, चिकन, मछली।

सवाल जवाब (FAQ)

अधिकांश लोगो को RDW का लेवल और टेस्ट से जुड़े कही सवाल है। यहाँ हमने उन्ही मुख्यतर सवालों के जवाब दिए है।

(1) RDW कम होने से क्या होता है?

सामान्य तोर पर RDW कम होने पर किसी भी प्रकार की स्वास्थ्यकिय हानि नहीं पहुँचती।

(2) हाई आरडीडब्ल्यू का क्या मतलब है?

यदि सामान्य से ज़्यादा RDW का लेवल बढ़े तो इसे हाई RDW कहते है। इसके कारण स्वास्थ्य पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

(3) प्रेगनेंसी में जब RDW हाई होता है तो इससे क्या होता है?

गर्भावस्था के दौरान अगर RDW हाई होता है तो इससे माता एवं शिशु दोनों के स्वास्थ्य को हानि पहुंच सकती है। इसलिए प्रेग्नेंसी में जल्दी ही इसका उपचाए करवाए।

(4) RDW टेस्ट किस लिए किया जाता है?

शरीर में मौजूद लाल रक्त कणिकाओं के मापन और प्रमाण देखने के लिए यह टेस्ट किया जाता है।

(5) क्या हाई आरडीडब्ल्यू गर्भपात का कारण बन सकता है?

नहीं, पर गर्भावस्था के दौरान यह ज़्यादा कोई नुकसान नहीं करता। लेकिन इसकी ज़्यादा मात्रा के कारण गर्भावस्था में रुकावट आ सकती है।

आशा करती हु RDW Test की संपूर्ण जानकारी देने में सफल रही हु। पोस्ट पसंद आयी हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे।

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