TLC Test In Hindi | टीएलसी टेस्ट क्या है और क्यों किया जाता है

TLC Test In Hindi एक प्रकार का ब्लड टेस्ट है। जो हमारे रक्त में ल्यूकोसाइट्स की मात्रा का पता लगाने में मददगार है। मेडिकल भाषा में इसे डब्ल्यूबीसी काउंट के नाम से भी जाना जाता है।

TLC Test In Hindi | टीएलसी टेस्ट क्या है और क्यों किया जाता है

सामान्य तोर पर TLC काउंट 4000-11000 कोशिकाए/घन मिमी होता है। लेकिन स्वास्थ्य में आए कुछ विकारो के कारण इसके स्तर में असंतुलन आता है। जब शरीर में टीएलसी बढ़ जाए तो इससे संक्रमण का खतरा बढ़ता है।

टीएलसी का पूरा नाम टोटल ल्यूकोसाइट्स काउंट (Total Leukocytes Count) है। रक्त संबंधी बीमारी या अन्य स्वास्थ्यकिय समस्याओ का पता लगाने में यह टेस्ट उपयोगी है।

हमारे शरीर की छोटी श्वेत रक्त कोशिका जिसे ल्यूकोसाइट्स कहते है। इसके मुख्य रूप से कुल 5 प्रकार होते है, जो हमने निचे दर्शाए है।

  1. न्यूट्रोफिल (Neutrophils)
  2. बासोफिल्स (Basophils)
  3. लिम्फोसाइट्स (Lymphocytes)
  4. इसिनोफिल्स (Eosinophils)
  5. मोनोसाइट्स (Monocytes)

ल्यूकोसाइट्स के यह पांचो प्रकार मिल कर सफ़ेद रक्त कोशिकाओं का निर्माण करते है। यह श्वेत रक्त कणिकाऐं शरीर को बाहरी जीवाणुओं या संक्रमण के प्रति सुरक्षा प्रदान करती है।

टीएलसी टेस्ट क्या है (What Is TLC Test In Hindi)

टोटल ल्यूकोसाइट्स काउंट एक मेडिकल टेस्ट है। जिसका उपयोग शरीर के सभी ल्यूकोसाइट्स की कुल संख्या को मापने के लिए किया जाता है। टेस्ट के दौरान व्यक्ति के ब्लड को सेम्पल के रूप में लेकर उस पर परीक्षण किया जाता है।

कुछ लोग ल्यूकोसाइट्स को लेक्यूसाइट्स के नाम से भी पहचानते है। यह सफेद रक्त कोशिकाओं का बड़ा समूह होता है। इसमें आई किसी भी तरह की परेशानी से रोग तंत्रिका प्रणाली पर दुष्प्रभाव पड़ सकते है।

बहुत से लोग टीएलसी टेस्ट को डब्ल्यूबीसी काउंट भी कहते है। इसके मुख्य दो प्रकार होते है, जो निचे अनुसार है।

(1) फैगोसाइटिक डब्ल्यूबीसी (Phagocytic WBCs)

  • फैगोसाइटिक डब्ल्यूबीसी एक व्हाइट ब्लड सेल्स है।
  • यह शरीर को संक्रमण के प्रति सुरक्षा देते है।
  • यह सेल्स रक्त और ऊतकों में मौजूद रहते है।
  • इसमें न्यूट्रोफिल्स, मोनोसाइट्स, मैक्रोफेज, डेंड्रिटिक सेल्स शामिल होते है।
  • इसकी ज़्यादा या कम मात्रा स्वास्थ्य को हानि पहुंचा सकती है।

(2) इम्यून डब्ल्यूबीसी (Immune WBCs)

  • विशिष्ट प्रतिरक्षा प्रणाली प्रतिक्रिया उत्पन्न करने में यह मददरूप है।
  • इसमें लिम्फोसाइट्स (टी सेल्स, बी सेल्स) और एंटीबॉडी बनाने वाले प्लाज़्मा सेल्स शामिल होते है।
  • इसके टी सेल्स विषाणु संक्रमित कोशिकाओं को ख़तम करते है।
  • इस कोशिकाओं की कमी से इम्यूनोडेफिशिएंसी यानि HIV की समस्या हो सकती है।
  • इम्यून डब्ल्यूबीसी काउंट के बढने से ऑटोइम्यून डिसऑर्डर होने की संभावना रहती है।

टीएलसी का पूरा नाम (TLC Test Full Form In Hindi)

टीएलसी एक रक्त सम्बंधित मेडिकल टेस्ट है। जिसका फुल फॉर्म टोटल ल्यूकोसाइट काउंट (Total Leukocyte Count) है। इस टेस्ट में ल्यूकोसाइट की कुल संख्या का मापन किया जाता है।

  • T : Total (कुल)
  • L : Leukocyte (श्वेत रक्त कोशिका)
  • C : Count (संख्या)

अगर टीएलसी को अलग-अलग कर के देखा जाए तो हिंदी में इसका मतलब कुल श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या होता है। यानि शरीर में मौजूद सफेद रक्त कोशिआओ की संख्या मापने के लिए यह टेस्ट करते है।

टीएलसी टेस्ट क्यों करवाया जाता है

वैसे तो संक्रमण की परिस्थिति में ही ज़्यादातर लोग यह टेस्ट करवाते है। मगर आज कल कुछ स्वास्थ्य प्रेमी लोग नियमित जाँच के लिए भी यह टेस्ट करवाते है। निचे दर्शाई स्वास्थ्य परिस्थितियों में एमएलसी टेस्ट किया जाता है।

(1) संक्रमण का पता लगाने के लिए

कही बार कुछ स्वास्थ्य या बाहरी कारणों से रक्त से जुड़े विकार खड़े होते है। इसके कारण रक्त सम्बंधित बीमारिया होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है।

ऐसे में संक्रमण का पता लगाने के लिए टीएलसी टेस्ट करना अनिवार्य है। यदि मानव शरीर में किसी भी तरह का संक्रमण हो तो ल्यूकोसाइट्स की कुल संख्या में बदलाव आते है।

(2) ऑटो इम्यून डिजीज के दौरान

जब शरीर में संक्रमणकाराक विकार होते है तब ऑटो इम्यून डिजीज होता है। इसमें प्रतिरक्षा प्रणाली खुद के ऊतकों और अंगों को नुकसान पहुंचाती है।

अभी तक ऑटो इम्यून डिजीज होने का कोई स्पष्ट कारण तो नहीं पता चला। लेकिन इसकी जानकारी और जाँच के लिए टीएलसी टेस्ट किया जाता है।

(3) ल्यूकेमिया की जांच के लिए

ल्यूकेमिया रक्त संबंधी विकार होता है, इसकी जांच या पहचान करने के लिए टीएलसी टेस्ट करना योग्य है। इस परेशानी के कारण शरीर में लगातार श्वेत रक्त कोशिकाओ का बढ़ावा होता रहता है।

कुल चार प्रकार के एक्यूट लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया, एक्यूट माइलाइड ल्यूकेमिया, क्रॉनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया और क्रॉनिक माइलाइड ल्यूकेमिया हो सकते है।

(4) स्टेरॉयड दवा के प्रभाव को चेक करने में

स्टेरॉयड एक प्रकार की दवा होती है, जिसे कृत्रिम रूप से बनाया जाता है। यह हार्मोन के समान कार्य करती है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देती है।

इन दवाओं का उपयोग ऑटोइम्यून बीमारियों, अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसे रोगों के इलाज में किया जाता है। इसके प्रभाव को चेक करने के लिए टीएलसी टेस्ट किया जाता है।

(5) कैंसर जैसी गंभीर बीमारी में

आज भी दुनिया भर की सबसे ज़्यादा खतरनाक बीमारियों में कैंसर का नाम उच्च स्थान पर है। इसकी जांच और इलाज करने में काफी समय और खर्च भी लगता है।

अगर रक्त में कैंसर कोशिकाओं की उपस्थिति है तो इसकी जांच के लिए टीएलसी टेस्ट करवाना बेहतर है। इसके कारण आपके रक्त में कैंसर का प्रमाण है या नहीं यह जान सकते है।

(6) एड्स और टीबी जैसे संक्रमण रोगो में

कहा जाता है की संक्रमणात्मक रोग काफी घातकी होते है। यह एक इंसान में से दूसरे इंसान तक तेजी से पहुंचते है। शारीरिक रोग एड्स और टीबी भी कुछ इसी तरह के होते है।

खास कर ऐसी संक्रमण से जुडी बीमारियों का पता लगाने में टीएलसी टेस्ट उत्तम है। यदि शरीर में ल्यूकोसाइट्स की संख्या अधिक हो तो संक्रमणात्मक रोग होने की संभावना भी बढ़ जाती है।

इसके आलावा निचे दर्शाए अन्य कारणों से भी लोग एमएलसी टेस्ट करवाते है।

  • रोगो के खिलाफ कार्य करने वाली प्रणाली के बारे में जानने के लिए।
  • किसी रोग की दवाइयों का प्रभाव कैसे है वह जांचने के लिए।
  • इन्फेक्शन या किसी भी तरह की एलर्जी हो तो यह टेस्ट करना योग्य है।
  • हाइपेटाइटिस या हाइवर जैसे वायरल इन्फेक्शन के दौरान इसे करना बेहतर है।
  • कुछ लोग अपनी स्वास्थ्य निगरानी के लिए भी यह टेस्ट करवाते है।
  • रक्त में ल्यूकोसाइट्स की संख्या मापने के लिए टीएलसी टेस्ट करते है।

टीएलसी टेस्ट कैसे करते है (How Is TLC Test Done)

जिन लोगो को रक्त से जुडी परेशानी है और वह टीएलसी टेस्ट करवाना चाहते है। तो उसके लिए टीएलसी टेस्ट करवाने की प्रक्रिया के बारे में जानना भी जरूरी होता है।

निचे दर्शाए अनुसार टोटल ल्यूकोसाइट्स काउंट ब्लड टेस्ट किया जाता है।

  • टेस्ट से पहले रोगी को कम से कम 4-6 घंटे तक भोजन और पानी से परहेज करना है।
  • सबसे पहले मरीज के हाथ की नसों से सुई की मदद द्वारा थोड़ा सा खून निकाला जाता है।
  • निकाले गए खून को एंटी-कोगुलेंट यानी हेपरिन से भरे हुए ट्यूब में इकट्ठा किया जाता है।
  • इस ट्यूब को धीरे से हिलाकर खून के थक्के नहीं बनने दिया जाता।
  • रक्त सैंपल को एक विशेष कण परीक्षण के लिए तैयार किया जाता है।
  • फिर इस नमूने को प्रयोगशाला में जांच के लिए भेज दिया जाता है।
  • प्रयोगशाला में हेमोटोलॉजी एनालाइज़र मशीन से टीएलसी की गणना की जाती है।
  • इसकी गणना प्रति माइक्रोलीटर (µL) में की जाती है।
  • सामान्य रूप से 24-48 घंटे में इस टेस्ट की रिपोर्ट आ जाती है।

टीएलसी टेस्ट का परिणाम (TLC Test Result)

यदि आप टीएलसी की सामान्य रेंज जानना चाहते है, तो इसके सही परिणाम के बारे में भी जान लेना जरूरी है। यहाँ हमने बच्चो, युवा और वयस्कों में टीएलसी टेस्ट की सामान्य सिमा दर्शाई है।

परिणाम द्वारा आप ल्यूकोसाइट्स काउंट की सही रेंज के बारे में जान सकते है।

परिणाम बच्चे  युवा  वयस्क
कुल ल्यूकोसाइट काउंट 6000 से 17000 प्रति माइक्रोलीटर 4000 से 11000 प्रति माइक्रोलीटर 4000 से 11000 प्रति माइक्रोलीटर
न्यूट्रोफिल काउंट 40% से 60% 40% से 60% 40% से 60%
लिम्फोसाइट काउंट 35% से 45% 20% से 40% 20% से 40%
मोनोसाइट काउंट 2% से 8% 2% से 8% 2% से 8%
इयोसिनोफिल काउंट 1% से 3% 1% से 3% 1% से 3%
बेसोफिल काउंट 0% से 1% 0% से 1% 0% से 1%

टीएलसी टेस्ट के दौरान क्या सावधानी रखे

किसी भी तरह का मेडिकल टेस्ट करवाने से पहले कुछ जरूरी सावधानिया रखनी होती है। इसके बारे में आप स्वास्थ्य निष्णांत से परामर्श भी कर सकते है।

यहाँ हमने टीएलसी टेस्ट में क्या क्या सावधानिया रखनी चाहतिये की सम्पूर्ण जानकरी दर्शाई है।

  • टेस्ट करवाने के 4-6 घंटे पहले भोजन नहीं लेना है।
  • टेस्ट से पहले किसी भी तरह की दवा नहीं लेनी चाहिए।
  • अगर किसी रोग की दवा लेनी है तो डॉक्टर से परामर्श करे।
  • व्यायाम से बचें क्योंकि व्यायाम टीएलसी को प्रभावित कर सकता है।
  • टेस्ट से पहले किसी भी तरह का इंफेक्शन या एलर्जी होने पर डॉक्टर को बताए।
  • गर्भवती महिलाओं को टेस्ट से पहले अपनी स्थिति के बारे में डॉक्टर को जानकारी देनी चाहिए।
  • टेस्ट के लिए खून लेते समय सुई के प्रयोग के बाद दबाव डालकर रक्तस्राव रोक देना चाहिए।
  • टेस्ट रिपोर्ट आने तक डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दवाएं लेनी चाहिए।

टीएलसी स्तर में असंतुलन कैसे आता है

रक्त परीक्षण के दौरान कभी कभार टीएलसी लेवल में असंतुलन आ सकता है। इसकी वजह से टीएलसी का स्तर उच्च या निचे भी गिर सकता है। एमएलसी में आने वाले असंतुलन की पूरी जानकारी निचे दर्शाई है।

टीएलसी बढ़ने के कारण

  • बैक्टीरियल, वायरल या फंगल संक्रमण
  • फोड़े और एब्सेस
  • एलर्जी
  • ल्यूकेमिया
  • हाइपरथायरायडिज्म
  • क्रोन्स रोग
  • ट्यूबरकुलोसिस
  • कुछ प्रकार के कैंसर
  • टिश्यू नेक्रोसिस
  • रक्त विकार
  • स्प्लीन की सूजन
  • कुछ दवाएँ जैसे कॉर्टिकोस्टेरॉयड
  • स्ट्रेस
  • धूम्रपान

टीएलसी घटने के कारण

  • वायरल संक्रमण जैसे इन्फ्लूएंजा, मोनोन्यूक्लियोसिस
  • बैक्टीरियल संक्रमण
  • एड्स
  • टाइफायड
  • मलेरिया
  • टीबी
  • एपेंडिसाइटिस
  • सिस्टिक फाइब्रोसिस
  • ऑटोइम्यून रोग जैसे SLE
  • बोन मैरो की कमी
  • रेडिएशन थेरेपी
  • कीमोथेरेपी
  • कुछ दवाएँ
  • पोषण की कमी
  • तनाव

टीएलसी नियंत्रित करने के उपाय

रोजाना जीवनशैली में कुछ ज़रूरी बदलाव ला कर टीएलसी को सरलता से नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए आप निचे दर्शाए उपाय आजमा सकते है।

(1) संतुलित और पौष्टिक आहार ले

  • कहा जाता है की पौष्टिक आहार लेने से शरीर बाहरी संक्रमण से बचता है।
  • इसके लिए आप हरी सब्ज़िया, बिन्स और फलों को ले सकते है।
  • शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषण मिलने पर टीएलसी लेवल भी सही रहता है।

(2) पर्याप्त मात्रा में नींद ले और आराम करे

  • यदि सही से आराम और नींद ली जाए तो कही स्वास्थ्य समस्याए दूर रहती है।
  • पर्याप्त नींद ना लेने के कारण भी टीएलसी लेवल में बढ़ोतरी आ सकती है।
  • ऐसे में आप अच्छी नींद और आराम ले कर इसे दूर रख सकते है।

(3) धूम्रपान और शराब से बचे

  • शराब या किसी भी तरह का धूम्रपान करने पर कही स्वास्थ्य समस्याए हो सकती है।
  • ऐसे वक्त में धूम्रपान और शराब का सेवन बंद करना योग्य है।
  • ऐसा करने पर रक्त में ल्यूकोसाइट्स का प्रमाण सही रहता है।

(4) एक्सरसाइज़ और योग करे

  • जो लोग रोजाना एक्सरसाइज और योग करते है वह अनेक स्वास्थ्य लक्षी विकारो से बच जाते है।
  • नियमित व्यायाम या योग करने पर शरीर की रोग तंत्रिका प्रणाली में मजबूती आती है।
  • रोजाना यह आदत डालने पर एमएलसी लेवल योग्य रहता है।

(5) शारीरिक अंगो की सफाई करे

  • अगर पहले से ही स्वच्छता रखी जाए तो बहुत सी बीमारिया दूर रहती है।
  • संक्रमण से बचने के लिए नियमित साबुन और पानी से अंगो की सफाई करे।
  • सफाई के कारण कीटाणु दूर रहते है और एमएलसी भी सही प्रमाण में बना रहता है।

(6) डॉक्टर की सलाह अनुसार सही दवा ले

  • यदि एमएलसी जांच करवाने के बाद इसका प्रमाण उच्च या कम हो तो डॉक्टर के पास जाए।
  • डॉक्टरी सलाह अनुसार आप इसकी ट्रीटमेंट या दवाई ले सकते है।
  • इसके आलावा स्वास्थ्य निष्णांत द्वारा कहे गए घरेलू उपचार भी कर सकते है।

सवाल जवाब (FAQ)

लोगो में टोटल ल्यूकोसाइट्स काउंट रक्त परीक्षण को लेकर बहुत से सवाल है। उनमे से मुख्य सवालों के जवाब हमने यहाँ दर्शाए है।

(1) टीएलसी बढ़ने के क्या कारण होते हैं?

आमतौर पर रक्त संबंधी समस्याओ के कारण यह होता। लेकिन निचे हमने इसके कुछ अन्य कारण भी दर्शाए है।

  • हाइपरथायरायडिज्म
  • क्रोन्स रोग
  • ट्यूबरकुलोसिस
  • कुछ प्रकार के कैंसर
  • टिश्यू नेक्रोसिस
  • रक्त विकार
  • स्प्लीन की सूजन
  • एलर्जी या संक्रमण

(2) टीएलसी बढ़ जाए तो क्या करना चाहिए?

कुछ गंभीर परिस्थिति में टीएलसी बढ़ जाए तो डॉक्टर के पास जा कर जांच करवाना योग्य है। उनकी सलाह अनुसार आप दवाइया ले सकते है।

(3) टीएलसी की नॉर्मल रेंज क्या है?

वैसे तो बच्चे, युवा और वयस्कों के लिए टीएलसी टेस्ट की अलग अलग रेंज होती है। लेकिन इसकी सामान्य रेंज 4000 से 11,000/माइक्रोलीटर के बीच रहती है।

(4) रक्त रिपोर्ट में टीएलसी क्या है?

रक्त में मौजूद सभी ल्यूकोसाइट्स यानि श्वेत रक्त कोशिकाओं की कुल संख्या के मापन के लिए टीएलसी टेस्ट किया जाता है।

(5) टीएलसी बढ़ने पर क्या नहीं खाना चाहिए?

अगर शरीर में टीएलसी लेवल बढ़ जाए तो जंक फ़ूड और पैकेट फ़ूड जैसे उनहेल्थी आहार से बचना चाहिए। इसके आलावा रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट वाले आहार का सेवन भी बंद करे।

आशा करती हु TLC Test सम्बंधित पूरी जानकारी देने में सफल रही हु। पोस्ट पसंद आयी तो अपने मित्रो के साथ शेयर करना ना भूले।

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