लिंफोसाइट्स क्या है पूरी जानकारी | High And Low Lymphocytes In Hindi

लिंफोसाइट्स (Lymphocytes) एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाए होती है। जो मुख्यरूप से प्राणी एवं मानव शरीर में पायी जाती है। यह कोशिकाए शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण होती है।

लिंफोसाइट्स क्या है पूरी जानकारी High And Low Lymphocytes In Hindi

शरीर में प्रवेश करने वाले बाहरी संक्रमण से यह कोशिकाए लड़ती है। यदि शरीर में इन कोशिकाओं की कमी हो तो इससे कही संक्रमण लक्षी परेशानिया हो सकती है।

आमतौर पर लिंफोसाइट्स के मुख्य 3 प्रकार होते है।

  1. टी-लिंफोसाइट्स (T-Lymphocytes)
  2. बी-लिंफोसाइट्स (B-Lymphocytes)
  3. नैचरल किलर (NK) लिंफोसाइट्स

इन तीनो प्रकार के लिंफोसाइट्स में अलग-अलग गुण देखने मिलते है। इनके कारण हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी बढ़ावा होता है। इसकी वजह से कैंसर की भयानक कोशिकाओं का विकास भी कम होता है।

रोजाना स्वस्थ आहार शैली और नियमित व्यायाम के साथ अच्छी जीवन शैली अपनाने पर लिंफोसाइट्स कोशिकाए बढ़ती है। इसके कारण हमारे शरीर में किसी भी तरह का संक्रमण नहीं होता।

लिंफोसाइट्स क्या है (What Is Lymphocytes In Hindi)

शरीर में मौजूद सफ़ेद रंग की रक्त कोशिकाओं को लिंफोसाइट्स के नाम से जाना जाता है। यह कोशिकाए मुख्यरूप से हमारे शरीर को बाहरी जीवाणुओं के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है।

यदि शरीर में लिंफोसाइट्स रक्त कणिकाओं की कमी आ जाए। तो हम आसानी से किसी भी संक्रमण का भोग बन सकते है। इसलिए शरीर में लिंफोसाइट्स का होना अति आवश्यक है।

लेकिन कुछ किस्सों में ऐसा होता है की लिंफोसाइट्स की ज़्यादा मात्रा नुकसान दायक होती है। इसकी कमी और ज़्यादा मात्रा दोनों से शारीरिक विकार होते है। ऐसी स्थिति में लिंफोसाइट्स को सही प्रमाण में रखना योग्य है।

इसके लिए आप डॉक्टर की सलाह अनुसार लिंफोसाइट्स को काउंट कर के सही प्रमाण में रख सकते है। इसके कारण आपको बहुत ही कम स्वास्थ्य विकारो का सामना करना पड़ेगा।

ज़्यादा और कम लिंफोसाइट्स में क्या होता है

आमतौर पर लिंफोसाइट्स शरीर के लिए बेहद उत्तम होता है। लेकिन इनकी बहुत ज़्यादा या कम मात्रा शरीर को नुकसान पंहुचा सकती है। हमने यहाँ उच्च और कम मात्रा में रहे लिंफोसाइट्स की पूरी जानकारी दी है।

(1) अधिक लिंफोसाइट्स (High Lymphocytes)

  • सामान्य से अधिक प्रमाण में रहे लिंफोसाइट्स को हाई लिंफोसाइट्स काउंट कहते है।
  • इसके कारण रक्त में संक्रमण होने की संभावनाएं रहती है।
  • ज़्यादा मात्रा में लिंफोसाइट्स होने से वायरल संक्रमण, टीबी, कुछ कैंसर जैसी बीमारिया हो सकती है।
  • शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली में इसकी वजह से काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

(2) कम लिंफोसाइट्स (Low Lymphocytes)

  • सामान्य मात्रा से कम मात्रा में रहे लिंफोसाइट्स को लौ लिंफोसाइट्स काउंट कहते है।
  • इसके कारण इम्युनिटी काफी हद तक कमजोर पड़ जाती है।
  • इसकी वजह से एचआईवी, कैंसर और ऑटोइम्यून डिसऑर्डर जैसी समस्याए हो सकती है।
  • शरीर में कम लिंफोसाइट्स हो तो डॉक्टरी इलाज करवाना बेहतर है।

लिंफोसाइट्स के प्रकार (Types Of Lymphocytes)

अगर लिंफोसाइट्स के प्रकार जान ले तो इससे इलाज में काफी मदद मिल सकती है। सामान्य रूप से लोग इसके 2 प्रकार के बारे में ही जानते है। लेकिन इसके मुख्य 3 प्रकार है जिसकी संपूर्ण जानकरी यहाँ दर्शाई है।

(1) टी-लिंफोसाइट्स (T-Lymphocytes)

  • थाइमस ग्रंथि में उत्पन्न होती कोशिकाओं को टी-लिंफोसाइट्स रक्त कणिका कहा जाता है।
  • यह कैंसर वाली कोशिकाओं के खिलाफ लड़ने का कार्य करती है।
  • इसमें हेल्पर टी और किलर टी जैसी कोशिकाए शामिल होती है।
  • मुख्य तोर पर यह थाइमस ग्रंथि में इस कोशिकाओं का विकास होता है।

(2) बी-लिंफोसाइट्स (B-Lymphocytes)

  • यह कोशिकाए मुख्य तोर पर मज्जा में विकसित होती है।
  • बी-लिंफोसाइट्स कोशिकाए बैक्टेरिया और वायरस से लड़ने में मददरूप होती है।
  • इस प्रकार की कोशिकाए शरीर में एंटी बॉडीज उत्पन्न करती है।
  • यह कणिकाएँ रक्त के लिए बहुत अच्छी होती है।

(3) नैचुरल किलर (NK) लिंफोसाइट्स

  • ये कोशिकाए मुख्य तोर पर कैंसर और अन्य भयानक संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा देती है।
  • यह बिना एंटीजन के ट्यूमर कोशिकाओं को मार देती है।

मेडिकल में MLC क्या है

लिंफोसाइट्स होने के कारण

यदि शरीर में लिंफोसाइट्स का प्रमाण ज़्यादा या कम हो जाए तो इसके पीछे के कही कारण हो सकते है। इसका मुख्य कारण है अनियमित जीवन शैली और पौष्टिक आहार ना लेना।

निचे हमने लिंफोसाइट्स होने के पीछे क्या कारण है उसकी जानकारी दी है।

(1) संक्रमण लगने की वजह से

कही बार बाहरी संक्रमण के कारण भी लिंफोसाइट्स में खराबी आ सकती है। इस वजह से आप किसी भी रोग का शिकार जल्दी बन जाते है।

(2) ऑटोइम्यून रोग होने से

ऑटोइम्यून एक ऐसा रोग है जिसमे शरीर की कोशिकाओं का आपस में टकराव होता है। यदि शरीर में लिंफोसाइट्स की मात्रा ज़्यादा है तो यह रोग होने की संभावना रहती है।

(3) एलर्जी लगने के कारण

बहुत बार अयोग्य आहार, दवाई या किसी पदार्थ का उपयोग करने पर एलर्जी हो सकती है। एलर्जी की वजह से शरीर में लिंफोसाइट्स का प्रमाण कभी कभार बढ़ सकता है।

(4) रक्त संबंधी रोग होने से

आज कल रक्त से जुडी बीमारियों का प्रमाण ज़्यादा बढ़ रहा है। अगर आपको कोई रक्त संबंधी बीमारी हो तो लिंफोसाइट्स की समस्या हो सकती है।

(5) कैंसर जैसी बीमारी होने पर

ज़्यादातर लोगो को पता है की कैंसर में शरीर की ख़राब कोशिकाए बढ़ती रहती है। कैंसर की बीमारी होने पर लिंफोसाइट्स का प्रमाण काफी हद तक गिर सकता है।

(6) हार्मोनल असंतुलन के कारण

जब शरीर की ग्रंथिया ज़्यादा या कम प्रमाण में रक्त प्रवाह स्त्राव करने लगती है, तब हार्मोनल असंतुलन होता है। शरीर में हार्मोनल असंतुलन हो तो लिंफोसाइट्स की संख्या में काफी बदलाव देखने मिलता है।

(7) एचआईवी या एड्स संक्रमण

अंगत शारीरिक समस्या से जुडी यह दोनों खतरनाक संक्रमणकारक बीमारिया है। इन बीमारियों में लगे संक्रमण की वजह से लिंफोसाइट्स के प्रमाण में भिन्नता आती है।

लिंफोसाइट्स के लक्षण (Symptoms Of Lymphocytes)

वैसे तो लिंफोसाइट्स के ज़्यादा कोई बड़े या गंभीर लक्षण नहीं होते। लेकिन इसके कुछ छोटे मोटे लक्षण दिखे जाते है। पर इस वजह से आगे जाकर कही गंभीर बीमारिया भी हो सकती है।

लिंफोसाइट्स के लक्षण कुछ इस तरह है,

  • पेट के आसपास वाली जगहों पर सूजन हो सकती है।
  • कभी कभार लिंफोसाइट्स के कारण बुखार भी हो जाता है।
  • इसमें कुछ बार सर्दी, खांसी या झुखाम हो सकता है।
  • शरीर में लिंफोसाइट्स की मात्रा बढ़ने से अत्याधिक थकान और कमजोरी महसूस होती है।
  • इसकी वजह से पेट दर्द की परेशानी भी होने की संभावना रहती है।
  • रक्त कणिकाओं में आए विकार की वजह से खून से जुडी समस्याए हो सकती है।
  • इसमें संक्रमण के कारण गले में दर्द और सूजन आती है।
  • त्वचा से जुडी रैशेस या दाने निकलना जैसी समस्या हो सकती है।
  • वजन अचानक बढ़ जाना या कम होने की परेशानी रहती है।

लिंफोसाइट्स का इलाज क्या है

सामान्य लगने वाली लिंफोसाइट्स की समस्या बहुत सी स्थितियों में गंभीर रूप धारण कर लेती है। इसलिए योग्य समय पर इसका इलाज करना सही है।

मुख्य तोर पर लिंफोसाइट्स 2 तरह के होते है, हमने यहाँ दोनों तरह की लिंफोसाइट्स के बारे में दर्शाया है।

(1) उच्च लिंफोसाइट्स का उपचार

यदि शरीर में लिंफोसाइट्स का प्रमाण हद से ज़्यादा बढ़ जाए तो निचे दर्शाए उपचार कर सकते है।

  • लिंफोसाइट्स का प्रमाण बढ़ने से बुखार की समस्या हो सकती है, इसके उपचार में एंटीबायोटिक्स दवाइया दी जाती है।
  • कुछ लिंफोसाइट्स का अधिक प्रमाण कैंसर का कारण भी बन सकता है, ऐसे में कैंसर निष्णांत की सलाह अनुसार इसकी ट्रीटमेंट लेना योग्य है।
  • जब बॉडी में लिंफोसाइट्स की संख्या बढ़ जाए तब कुछ जरूरी मेडिकल टेस्ट करवाने चाहिए।
  • रोजाना आहार में पौष्टिक खुराक लेने पर लिंफोसाइट्स सही रहते है।
  • कहा जाता है की नियमित व्यायाम करने पर अनेक स्वास्थ्य से जुडी समस्याए सही रहती है।

(2) कम लिंफोसाइट्स का उपाय

  • सबसे पहले कम लिंफोसाइट्स होने के कारण जान लीजिये, इस हिसाब से इसका इलाज करना आसान रहता है।
  • इसलके लिए आप डॉक्टर के पास जा कर योग्य दवाइया ले सकते है।
  • इसमें डॉक्टर्स द्वारा विटामिन्स और अन्य पूरक मेडिसिन दी जाती है।
  • इस दवाओं द्वारा शरीर में श्वेत रक्त कोशिकाओं का बढ़ावा होता है।
  • जिस कारणों की वजह से लिंफोसाइट्स की संख्या कम होती है, उस पर सुधार करे।
  • एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाने पर शरीर में लिंफोसाइट्स की संख्या सही रहती है।
  • डॉक्टर के मुताबिक आहार में लिंफोसाइट्स वाले खुराक शामिल करे।
  • ज़्यादा परिश्रम या तनाव ना ले, इससे लिंफोसाइट्स का प्रमाण तेजी से बढ़ता है।

लिंफोसाइट्स की समस्या से बचाव कैसे करे

अगर आप चाहते है की शरीर में लिंफोसाइट्स का प्रमाण सही रहे, और आपको उससे संबंधित कोई विकार ना हो। तो इसके लिए आप कुछ जरूरी उपाय आजमा सकते है।

यहाँ हमने लिंफोसाइट्स से बचाव के कुछ कारगर उपायों की जानकारी दर्शाई है।

(1) धूम्रपान करना बंद करे

ज़्यादातर लोगो को पता है की धूम्रपान सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। यह शरीर को अंदर से खोखला कर देता है। लिंफोसाइट्स का प्रमाण बढ़ाने के लिए धूम्रपान का सेवन बंद करना सही है।

(2) शराब पीना छोड़ दीजिये

संशोधन में पाया गया है की शराब पीने पर शरीर में लिंफोसाइट्स की मात्रा बहुत कम हो जाती है। इस वजह से बहुत सी स्वास्थ्यकिय परेशानिया खड़ी हो सकती है। ऐसे में शराब पीना छोड़ देना ही उत्तम है।

(3) मानसिक तनाव से बचे

जो लोग ज़्यादा मानसिक तनाव लेते है, वह अनेक समस्याओ का शिकार बनते है। उनमे से एक है लिंफोसाइट्स में कमी आना। मानसिक तनाव कम लेने पर लिंफोसाइट्स की समस्या से बचा जा सकता है।

(4) नियमित योग और ध्यान करे

ध्यान और योग शरीर एवं मन के लिए काफी उत्तम होता है। ध्यान के कारण मानसिक शांति और योग से शरीर स्वास्थ्य पर हकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जिस वजह से आप लिंफोसाइट्स प्रमाण को सही रख सकते है।

(5) पर्याप्त मात्रा में नींद ले

थकान एवं कमजोरी को दूर करने के लिए पर्याप्त मात्रा में नींद लेना बेहतर है। इससे आपको शारीरक रूप से आराम मिलता है। साथ ही लिंफोसाइट्स स्तर में बढ़ोतरी भी हो सकती है।

(6) समय समय पर रक्त की जांच करवाए

सही समय समय पर रक्त की जांच करवाने पर आप जान सकते है की लिंफोसाइट्स का प्रमाण कितना है। उस आधार पर आप लिंफोसाइट्स का बढ़ाना है या घटाना है यह तय कर सकते है।

सवाल जवाब (FAQ)

लोगो में लिंफोसाइट्स को लेकर अनेक प्रश्न है। उनमे से मुख्य सवालों के जवाब हमने यहाँ दर्शाए है।

(1) लिम्फोसाइट बढ़ने से क्या होता है?

शरीर में लिंफोसाइट्स का प्रमाण बढ़ने पर स्तन कैंसर, लंग कैंसर, पेट या आतंड़ियों के कैंसर होने की संभावना रहती है। इसके अलावा भी इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते है।

(2) लिंफोसाइट का मतलब क्या होता है?

मानव और प्राणिओ के शरीर के रक्त में मौजूद सफेद रक्त कणिकाओं को लिंफोसाइट्स के नाम से जाना जाता है।

(3) लिंफोसाइट की कमी से कौन सा रोग होता है?

वैसे तो लिंफोसाइट्स रक्त कोशिकाओं की कमी के कारण बहुत से रोग हो सकते है। लेकिन लिंफोसाइट्स की कमी से होने वाला मुख्य रोग एड्स है।

(4) लिम्फोसाइट्स कितने होने चाहिए?

सामान्य तोर पर लिंफोसाइट्स की मात्रा 3,000 से 9,500 के बिच होनी चाहिए। यह इसका सही प्रमाण है, जिससे आपका शरीर संपूर्ण रूप से स्वस्थ रह सकता है।

(5) लिंफोसाइट्स का इलाज क्या है?

शुरुआती तोर पर लिंफोसाइट्स का इलाज घरेलू तोर पर भी किया जा सकता है। लेकिन समस्या ज़्यादा बढ़ने पर डॉक्टर के पास जाना बेहतर है।

आशा करती हु लिंफोसाइट्स की पूरी जानकारी देने में सफल रही हु। मिलते है अपनी नेक्स्ट पोस्ट में तब तक टेक केयर।

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