भुजंगासन (Bhujangasana) क्या है, करने का तरीका और फायदे

पेट की चर्बी कम करने के लिए भुजंगासन (Bhujangasana) श्रेष्ठ है। वजन बढ़ने से पीठ और कमर दर्द की तकलीफ होने लगती है। ऐसी समस्याए दूर करने में यह आसन कारगर है। भुजंगासन से हमारी सुशुप्त कुंडलिनी ऊर्जा जागृत हो जाती है। जिससे शरीर के सभी चक्र जागृत होते है और उनमें संतुलन आता है। जिससे मानसिक, आध्यात्मिक और शारीरिक ऊर्जा मिलती है।

भुजंगासन (Bhujangasana) क्या है, करने का तरीका और फायदे

ज्यादातर लोग अपनी शारीरिक समस्या से छुटकारा पाने के लिए दवाई लेते है या कोई घरेलु उपाय आजमाते है। बहुत कम लोग है जो योगा का सहारा लेकर समस्या से राहत पाना पसंद करते है। यदि आप शरीर की काया अच्छी रखना चाहते है तो भुजंगासन कर सकते है। जिससे पेट की बिन जरुरी चर्बी घटती है और ऊर्जा प्राप्त होती है।

भुजंगासन (Bhujangasana) क्या है

पूर्ण रूप में भुजंगासन भुजंग अर्थात साँप जैसा दिखता है। अंग्रेजी में भुजंगासन को कोबरा पोज़ “Cobra Pose” कहते है। भुजंगासन में भुजंग का अर्थ होता है “साँप” और आसन का अर्थ “मुद्रा” होता है। इसलिए इस आसन को सर्पासन के नाम से भी जाना जाता है।

यह आसन सूर्यनमस्कार के साथ किया जाता है जो सूर्यनमस्कार आसन श्रुंखला के 7 वे क्रम में आता है। भुजंगासन हठयोग के कुछ मुख्य योग आसनो में से एक है। भुजंगासन पेट के बल किया जाने वाला आसन है। आसन की पूर्ण स्थिति में शरीर का ऊपरी हिस्सा उठा हुआ और गला ऊपर की तरफ रहता है।

भुजंगासन करने से पहले यह आसन करे

  • ऊर्ध्व मुख श्वानासन (Up Ward Facing Dog Pose)
  • सेतु बंध सर्वांगासन (Bridge Pose)
  • सलंब भुजंगासन (Salamba Bhujangasana)
  • बालासन (Child Pose)
  • गरुडासन (Eagle Pose)
  • मार्जरीआसना (Cat Pose )

अगर आपको पहले से यह आसन करने आते है तो भुजंगासन करने में आसानी रहेगी। यह सब आसन एकसाथ करने से पीठ और कमर की मांसपेशियों को आराम मिलता है।

भुजंगासन करने का तरीका

  1. सबसे पहले आप पेट के बल सो जाए, सिर और छाती जमीन को छूनी चाहिए।
  2. दोनों हाथो को साइड पर ले जाकर पंजो को कंधो के नीचे जमीन पे रख दे। उंगलिया कंधो के बाजु में होनी चाहिए, पैर को खींच कर सीधा कर लीजिये पाँव के तलवे ऊपर की ओर होने चाहिए।
  3. हाथो की कोहनी को शरीर के नजदीक रखिए, पाँव को जोड़कर सीधे रखे घुटने और पंजे जमीन पर रखे।
  4. दोनों हाथो के पंजो को जमीन पे जोर से दबाये, हथेली से उपर उठते जाना है। इस स्थिति में पैर और जांधो पे दबाव डालना है।
  5. सांस लीजिये, हाथो को सीधा करने लगे और शरीर को उपर उठाते जाये। कमर से जितना ऊपर उठ सके उतना उठे।
  6. सामने देखिये मेरुदंड की हड्डी को ऊपर उठाते जाये, नितंब को सख्त ना करे गर्दन को सीधी रखे।
  7. नाभी के नीचे का हिस्सा जमीन पर रहे ऐसे आसन बनाये, पूरा वजन शरीर के दोनों पैरो पे बट जाए इस प्रकार आसन करे।
  8. छाती के अगले हिस्से को उपर ले जाये पर पिछले हिस्से पर दबाव ना डाले। ऐसा करने से पीठ के नीचले हिस्से को मजबूती मिलती है।
  9. 15-30 सेकंड तक इस स्थिति में रहिये और सांस बहार निकालिये।
  10. सांस छोड़ने के साथ ही शरीर को नीचे ले आये और जमीन पर आ जाए।
  11. अगर आपको मजबूत और आरामदायक आसन चाहिए तो हाथो को शरीर के नजदीक रखे। इस स्थिति में रहना भुजा को लंबा और सीधा करता है।

भुजंगासन के फायदे Bhujangasana Benefits In Hindi

  • रीढ़ हड्डी के निचले हिस्से में दर्द दूर करके कमर को मजबूत और लचीली बनाता है।
  • छाती चौड़ी होती है और फेफड़ो की कार्यक्षमता बढ़ती है।
  • अस्थमा ट्रीटमेंट के साथ मरीज इसे करे तो बहुत असरकारक है। इस आसन से फेफड़ो को ज्यादा ऑक्सीजन मिलता है।
  • तनाव नियंत्रण करने के लिए भुजंगासन एक बेहतर उपाय है।
  • छाती, कंधे, फेफड़े और पेट पर अच्छा खिचाव डालता है।
  • यह आसन पाचन प्रणाली को मजबूत बनाता है। कब्ज और एसिडिटी से छुटकारा देकर पेट की चर्बी कम करता है।
  • सायटिका के दर्द में लाभदायी आसन है, पीठ के ऊपरी हिस्से का दर्द कम करके रक्तसंचार बढ़ाता है।
  • महिलाओ के लिए ख़ास उपयोगी आसन है जो उन्हें मासिकधर्म दर्द की समस्या में राहत दिलाता है।
  • नियमित रूप से यह आसन करने पर महिलाए एवं पुरुषों में कमर दर्द की समस्या दूर होती है।
  • रक्तप्रवाह अच्छा बनता है जिससे जठर और बेक साइड में रक्तप्रवाह अच्छी तरह बहने लगता है।
  • गुस्सा और चिड़चिड़ापन दूर कर के मन को शांत रखता है, यह हमारी एड्रिनल ग्रंथि को सक्रिय करता है।
  • भुजंगासन थाइरोइड को कम करने में भी सहायभूत है।
  • भुजंगासन डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद है।
  • किडनी की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए अच्छा आसन है। किडनी पेशेंट्स इसे डॉक्टर की सलाह अनुसार कर सकते है।
  • रीढ़ हड्डी की दबी हुई नसों का इलाज कर के उन में रक्तप्रवाह पहुंचाता है।
  • कब्ज से राहत दिलाने में भी आसान अच्छा काम करता है।
  • पेट कम करने की एक्सरसाइज के साथ भुजंगासन करने से बेहतर परिणाम मिलते है।

भुजंगासन करने में सावधानी

  • यह एक बैक बेन्डिंग आसन है जो धीरे-धीरे करना चाहिए। एक झटके में उपर उठने की कोशिश ना करे।
  • ज्यादा खींचने से पीठ की मांसपेशियों पर असर पड़ सकता है।
  • जहा तक जा सके उतना ही उपर जाए ज्यादा उपर तक जाने की जरूरत नहीं।
  • पेट दर्द, अल्सर, हर्निया, पीठ में चोट आयी हो या ऑपरेशन किया हो तब आसन ना करे।
  • आसन पूर्ण होने पर पाँव थोड़े उपर उठ सकते है, कोशिश करे की पेट और पैर जमीन से जुड़े रहे।
  • सिर दर्द, चक्कर, या कमजोरी महसूस हो रही हो तब भुजंगासन ना करे इस से गिरने की संभावना रहती है।
  • कलाई में दर्द या चोट होने पर आसन ना करे। हाथ को शरीर के पास रखिये और हल्का सा सहारा लीजिए।
  • पीठ की मांसपेशियों पर अपना पूरा वजन उठाये। पीठ पर वजन आने से पीठ मजबूत और लचीली बनती है।
  • गर्भावस्था में Bhujangasana नहीं करना चाहिए, इससे महिलाओ के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है।
  • कार्पल टनल सिंड्रोम (Carpal Tunnel Syndrome) की बिमारी होने पर या हाथ पर कोई चोट लगने पर भुजंगासन नहीं करना चाहिए।

पहली बार भुजंगासन करने वालो के लिए ख़ास टिप्स

पहली बार भुजंगासन कर रहे है तो आपको कुछ सावधानिया बरतनी होगी। आप दिवार और कुर्सी का सहारा लेकर भी इसे कर सकते है। हाथो की उंगलियों को फैलाये और पूरा वजन दोनों हाथ पर समान रखे। हाथो को शरीर से नजदीक रखिये। हाथो को पूर्ण स्थिति में थोड़ा मोड़ दे।

  1. धीरे -धीरे ऊपर उठने का प्रयास करे।
  2. दोनों पाँव के पंजो पर जोर डाले।
  3. पीठ पर ज्यादा खिचाव न डाले।
  4. चाहे तो शुरुआत में कंबल को शरीर के निचे रख सकते है।

भुजंगासन करने के लिए आदर्श समय

भुजंगासन करने का सबसे अच्छा समय सुबह का है। फिर भी दिन के किसी भी समय जब पेट खाली हो तब यह आसन कर सकते है। खाने के 4-6 घंटे बाद मल-मूत्र प्रवृति हो जाने के बाद खाली पेट भुजंगासन करना चाहिए।

इसके अलावा इस आसन को शाम के वक्त भी कर सकते है। आसन में आने के बाद गहरी सांस ले और इस आसन को कमसे कम 5 बार दोहराए। कमर और पेट कम करने की एक्सरसाइज के साथ सुबह-शाम भुजंगासन करने से वजन तेजी से घटता है।

भेख भुजंगासन की जानकारी

भुजंगासन पूर्ण रूप से करने के बाद भेख भुजंगासन करे यह इस आसन का एडवांस लेवल है। इसमें रीढ़ को ज्यादा ऊपर खींचना होता है। और ज्यादा अच्छा वक्र बना सकते है। भेख भुजंगासन में पैरो को ऊपर की तरफ उठाना होता है।

इस आसन में तभी जाये जब पूरी तरह आसन में रहना सिख गए हो। यह आसन सिर्फ भुजंगासन में निपुण होने वाले लोगो के लिए है।

भेक भुजंगासन में दोनों पैरो को पालथी मारकर जांधो के निचे रखना होता है। यह आसन सिर्फ योगासन में निपुण होने के बाद करे। अगर आपके कंधे, बगल, कमर, छाती, पीठ ज्यादा लचीले है तो आप ज्यादा पीछे मूड ने की कोशिश करे। ऐसा करने से अच्छा वक्र बनेगा।

भुजंगासन करने के बाद यह आसन करे

भुजंगासन करना सिख जाने के बाद आप इसकी विविध मुद्रा कर सकते है। जैसे की भुजंगासन करने के बाद नीचे बताये हुए दूसरे आसन भी कर सकते है।

  1. सलभासन (Locust Pose)
  2. सलम्बा भुजांगासन (Sphinx Pose)
  3. उर्ध्वमुख स्वानासन (Upward-facing dog pose)
  4. यह आसन करने से कमर दर्द में ज्यादा राहत मिलती है और अन्य लाभ भी प्राप्त होते है।

आशा करती हु भुजंगासन (Bhujangasana) की पूरी जानकारी देने में सफल रही हु। मिलते है अपनी नेक्स्ट पोस्ट में तब तक टेक केयर।

DAWAiLAJ
Logo