वृक्षासन (Vrikshasana) क्या है, फायदे और करने का तरीका

वृक्ष हर मौसम में अडग खड़ा रह कर मानव को कही फायदे देता है। वृक्ष की इसी स्थिति से वृक्षासन बना है। जो पाँव और पुरे शरीर को मजबूत करने में लाभकारी है। यह एक बैलेंसिंग आसन है जिसमे शरीर को वृक्ष जैसा आकार करना पड़ता है। प्राचीन भारत में साधु ध्यान में जाने से पहले इस आसन का प्रयोग स्वंय शिस्त बढ़ाने के लिए करते थे।

वृक्षासन (Vrikshasana) क्या है, फायदे और करने का तरीका

वृक्षासन में शरीर पेड़ के मूल की तरह जमीन में गडा दिखता है। और हाथ फैली हुई डालिया जैसे नजर आते है। वृक्षासन करने से शरीर उत्साही, स्फ़ुर्तीला और सकारात्मक महसूस करता है। इस पोस्ट में वृक्षासन करने के फायदे और तरीके के बारे में पूरी जानकारी बताई है।

वृक्षासन (Vrikshasana) क्या है

संस्कृत में वृक्ष का अर्थ “पेड़” और आसन का अर्थ “मुद्रा” होता है। आसन की पूर्ण स्थिति में शरीर वृक्ष जैसा दिखता है। यह नाम पेड़ से उतर आया है, इसलिए इसे वृक्षासन (Vrikshasana) कहते है।

अंग्रेजी में इसे Tree Pose Yoga कहते है। वृक्षासन को भगीरथासना Bhagirathasana के नाम से भी जाना जाता है। वृक्षासन से ध्यान, एकाग्रता, संतुलन, द्रढ संकल्प शक्ति, विवेक शक्ति और आत्मविश्वास जैसे गुण खिलते है।

शुरूआती दिनों में तुरंत वृक्षासन पर पकड़ नहीं आती। इसे प्रैक्टिस द्वारा सिखने में समय जा सकता है। ऐसे में आप चाहे तो वृक्षासन करने से पहले निम्नलिखित आसनो को आजमा सकते है।

  1. ताड़ासन (Mountain Pose)
  2. बद्धकोणासन (Butterfly Pose)
  3. परस्व उर्ध्वा हस्तासना (Parsva Urdhva Hastasana)

वृक्षासन करने का आसान तरीका

  1. वृक्षासन करने के लिए सबसे पहले सावधान की स्थिति में खड़े रहे।
  2. दोनों हाथो को पास में रखे और ताड़ासन की स्थिति में खड़े हो जाये।
  3. दोनों एड़ियों को जोड़ कर रखिये हाथो को जांध के आस पास रखे। नजरे बिलकुल सीधी एक पॉइन्ट पर स्थिर रखिये।
  4. अपना सारा वजन बाये पैर पर डाले और दाये पैर को ऊपर उठाकर घुटने से मोड के बाए पैर की जांध पर टिकाये।
  5. एड़ियों को बिलकुल जांध के सटीक रखना है, जितना हो सके एड़ी को जांध के अंदर की तरफ रखे।
  6. दाए पैर की उंगलिया जमीन की तरफ रखिये। तलवे द्रढ़ता से बायीं जांध को छूने चाहिए और दबाव देना है।
  7. अब आपकी पोजीशन होगी दाए पैर के तलवे बाए पैर की जांध पर अंदर की तरफ। लेकिन बाए पैर के घुटनो के ऊपर होने चाहिए।
  8. बाए पैर को सीधा रखे बिना मोड घुटनो को सीधा रखे। दोनों हाथो को बाजू पर से ऊपर उठाये हुए साँसे लेना शुरू करे। और सिर के ऊपर जाके हाथ को नमस्कार की मुद्रा में जोड़ ले।
  9. हाथ कोनी से बैंड नहीं होने देना है। हाथ सीधे और शरीर सीधा तान कर खड़े हो जाइए।
  10. आँखे बंद कर के सांस को रोके इस स्थिति में वृक्षासन को 20-40 सेकंड तक जारी रखिये।
  11. सांस को धीरे धीरे छोड़े हाथ की मुद्रा को नीचे ले आइए और पाँव को खोल कर सीधा कर ले।
  12. पाँव यथास्थिति में जुड़े रखिये और इस प्रक्रिया को फिर से 3 बार दोहराये।
  13. उसी प्रकार दाए पैर के ऊपर शरीर का सारा वजन ले आइए और बाए पैर को मोड़कर दाए पैर जांध पर तरफ रखे तलवो को पैर की जांधो पर दबाये।
  14. अपने दोनों हाथों को सांस लेते हुए उपर लेकर नमस्कार मुद्रा में जोड़ दे इसी प्रकार 3 बार कीजिए अब पैरो बदल-बदल कर यथाशक्ति आसन दोहराये।

वृक्षासन के फायदे Vrikshasana Benefits In Hindi

  • वृक्षासन करने से छाती चौड़ी, मजबूत, सुडौल और भरावदार बनती है और पसलियां फैलती है।
  • हाथ-पैरो की मांसपेशिया और स्नायु का बल बढ़ता है।
  • वृक्षासन पाँव और कूल्हों को लचीला बनाता है।
  • पीठ दर्द में कारगर उपाय है गर्दन के आसपास के मसल्स को अच्छी मालिश देता है।
  • पाव, घुटने, कंधे, टखने और कूल्हों पर खींचाव पैदा होने से लचीलापन बढ़ता है।
  • जांध व पाँव को पतले करके पाँव को टोन करता है
  • तरुण बच्चो की हाइट बढ़ाने के लिए वृक्षासन उपयोगी आसन है।
  • एकाग्रता बढ़ती है जिस से कोई भी काम लम्बे समय तक करने की क्षमता पैदा होती है।
  • शरीर की स्टेबिलिटी बढ़ाने के लिए वृक्षासन एक अच्छा आसन है।
  • शरीर के सभी जॉइन्ट्स पे अच्छा प्रभाव पड़ता है और शरीर के सभी अंगो को अच्छी तरह काम करने में सहायता मिलती है।
  • पैरो पर वजन पड़ने से पाव की ताकत व मजबूती बढ़ती है। पैरो की उंगलिया, घुटने, कोहनी सभी जगह अच्छी तरह से रक्तप्रवाह बहता है।
  • पैरो का दर्द और जोड़ो का दर्द खत्म कर के उन्हें आराम पहुँचाता है।
  • कमर दर्द और सायटिका के दर्द में राहत दिलवाता है।
  • नियमित रूप से वृक्षासन करने से वजन कम करने में सहायता मिलती है।

वृक्षासन में रखे सावधानिया

  • वृक्षासन खाली पेट ही करना चाहिए या तो खाने के 4-6 घंटे के बाद आसन करना चाहिए।
  • पहली बार करते समय पाव हिल सकते है लेकिन प्रैक्टिस जारी रखिए।
  • पहली बार गिरने का डर होता है तो आराम से करे, गिरना जाये इसका जरूर ध्यान रखे।
  • शुरू में आँखे बंद ना करे क्युकी आँखे बंद होने पर ध्यान विचलित हो कर बैलेंस बिगड़ सकता है।
  • शुरू में पैर जांध के ज्यादा ऊपर टिकानी की कोशिश ना करे। धीरे धीरे उपर तक पाव ले जाके टेकने की कोशिश करे।
  • उच्च रक्तचाप और माइग्रेन में यह आसन ना करे।
  • पाव और घुटनो में चोट आयी है तो आसन ना करना ही बेहतर है।
  • कमजोरी महसूस हो रही हो या चक्कर आ रहे हो तो आसन ना करे।
  • घुटने के ऊपर या नीचे पाव रखे कभी भी घुटनो पर पाँव ना टेके इस से घुटनो पे दबाव आएगा जो गलत है।
  • सिर दर्द, माईग्रेन और अनिंद्रा की समस्या में वृक्षासन नहीं करना चाहिए।

वृक्षासन शुरू करने वालों के लिए ख़ास टिप्स

  • वृक्षासन करने के लिए पाँव को ज्यादा जबरजस्ती नहीं खींचे। जहा तक पाव जाये वही पर पाव टिकाए और आसन करे। पैरो को प्रैक्टिस करने के बाद ऊपर तक टिकाए।
  • शुरू में टेबल के सामने खड़े रहकर जो आपकी पेट से उपर तक उचा हो उसका सहारा लेकर आसन करे। जिससे गिरने की संभावना कम हो जाती है।
  • कमर को पीछे या आगे ना गिरने दे सीधे खड़े रहने की कोशिश करे। शुरू में हाथ उपर तक नहीं जाते उन्हें कंधो पर हाथ टेकना चाहिए।

वृक्षासन करने के बाद में यह आसन करे

शारीरिक स्वास्थ में बेहतर परिणाम पाने के लिए आप चाहे तो Vrikshasana के बाद निम्नलिखित आसन कर सकते है

  1. वीरभद्रासन (Virabhadrasana)
  2. उत्थिता त्रिकोणासन (Trikonasana)
  3. प्रसारित पादोत्तासन (Wide-Legged Standing Forward Bend)

आखिर में

वृक्षासन का ज्यादा लाभ पाने के लिए इसे कुछ एडवांस टिप्स के साथ अभ्यास कर सकते है।

  • जैसे की आँखे बंद कर के आसन में रहने का प्रयास करे।
  • आप कंबल, चदर या चटाई को फोल्ड करके पाँव के नीचे रख सकते है।
  • आप पत्थर, तकिये, या फिर कोई भी असमान जमीन पर संतुलन बनाने की कोशिश कर सकते है।
  • अच्छी बेलेंसिंग सिखने के बाद आप अर्ध बद्ध पद्मोत्तासन आसन करने की कोशिश करे।

आशा करती हु वृक्षासन (Vrikshasana) के बारे में पूरी जानकारी देने में सफल रही हु। मिलते है अपनी नेक्स्ट पोस्ट में तब तक टेक केयर।

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