नटराज आसन करने का तरीका और फायदे

आज की स्थिति में हमारी जिंदगी काफी तनाव पूर्ण हो चुकी है। ऐसे में हमे तनाव मुक्त रहने की आवश्यकता महसूस होती है। रोज थोड़ा वक़्त कोई भी योग-आसन करने से हमारी सेहत अच्छी रहती है। मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखनेवाले लाभदायक आसनो में से एक नटराज आसन है। तो जानते है इस पोस्ट में नटराज आसान करने का सही तरीका और फायदे।

नटराज आसन करने का तरीका और फायदे

नटराज आसन का नाम संस्कृत शब्द से उतरा है। नट मतलब “नृत्यकार” राज यानी “राजा” और आसन यानी की “आसन” होता है। भगवान शिव को नृत्य देवता के रूप में भी जाना जाता है। उनकी नृत्य मुद्रा को अंग्रेजी में Dancer Pose Yoga कहा जाता है यह आसन ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतिक है। Natraj Aasan के फायदे जानने के बाद योगा पसंद करने वाले लोग इसे जरूर करना चाहेंगे।

नटराज आसन करने का तरीका

प्राचीन भारतीय देवता शिव नृत्य करते समय Natraj Aasan की मुद्रा बनाते थे। नृत्य देवता शिव को भारत में कही जगह नटराज भी कहा जाता है। योग और डांस के समन्वय जैसा यह आसन शिव की मुद्रा से प्रेरणा लेकर बनाया गया है।

क्लासिकल डांस की तरह इसमें भी शरीर को खींचके पोज़ बनाया जाता है। इस आसन करने से नृत्य की मुद्रा बनती है इसीलिए इसे नटराज आसन कहते है।

नटराज आसान (Natraj Aasan) कैसे करे

नटराज आसान (Natraj Aasan) कैसे करे

नृत्य मुद्रा यानी नटराज आसान करने के लिए शरीर का उचित बैलेंस बनाना जरुरी है। ऊपर की फोटो में आप देख सकते है एक पैर पर खड़े हो कर संपूर्ण शरीर का बैलेंस बनाना होता है। अब इसे आसानी से करने के लिए निचे दिए गए स्टेप्स फॉलो करे।

सबसे पहले कोई शांत कमरे में आ जाये और अपना आसन बिछा कर सावधान की स्थिति में खड़े हो जाये।

  1. सीधे खड़े हो कर अपना पूरा वजन दाहिने पैर पर ले आइये। नजरे सीधी और सामने रखे साँसों को गति से चलने दे।
  2. अब अपने बाए पैर को पीछे से ऊपर उठाये। शुरू में दिवार का सहारा लेकर पाव को ऊपर उठाने की कोशिश करे।
  3. ध्यान रखे बैलेंस बनाये रखते हुए यह आसन करना है। यदि एक बार में न हो तो इसे फिर से करने का प्रयास करे।
  4. अपने बाए हाथ से बाए पैर के अंगूठे को पकड़ लीजिये, चाहे तो आप ऊपर से या फिर नीचे से पकडे।
  5. पाव को पूरी तरह ऊपर की तरफ खींचने की कोशिश कीजिये।
  6. अपने धड़ को सीधा रखे, एड़ियों पर पूरा वजन आने दे।
  7. आपकी बाए हाथ की कोहनी बाहर की तरफ आनी चाहिए। रीड की हड्डी का आखिरी हिस्सा निचे की तरफ प्रेशर बनाये।
  8. आपकी पोजीशन होनी चाहिए बाया पैर ऊपर, जमीन से दूर,और धड़ से दूर।
  9. दाहिना हाथ सामने की तरफ लम्बा करके पहली ऊँगली और अंगूठे मिला ले।
  10. दाये पैर को नीचे जमीन पर रखे सीधे और खड़े हो जाइए।
  11. अब दूसरा पैर उठाये फिर इसी प्रक्रिया को दूसरे पैर पर आजमाए।

सावधानी रखनेवाली बाते

  • किसी भी इजा या बिमारी में डॉक्टर की सलाह अनुसार आसन करे।
  • बॅलन्स बनाने वाला आसन है इसलिए धीरे धीरे ही पूरा बैलेंस बनेगा।
  • जब तक पूरी तरह बैलेंस बनाना सिख न ले सहारा ले कर ही आसन करे।
  • पैरो को पीछे खींचने में ज्यादा जल्दबाजी या जोर न करे।
  • चक्कर, हर्निया, पीठ दर्द या कमर दर्द जैसी समस्या से ग्रसित हो तो आसन न करे।
  • हृदय रोग और पेट के अल्सर में Natraj Aasan करना उचित नहीं है।

नटराजासन करने के फायदे

  • निर्यण क्षमता और एकाग्रता बढ़ने के साथ मानसिक शांति मिलती है।
  • नटराज आसान पाचन शक्ति बढ़ाता है।
  • छाती, पेट, रीड की हड्डी और जांध को शक्ति तथा लचीलापन प्रदान करता है।
  • मानसिक तनाव को असरकारक तरीके से दूर करता है।
  • रक्तप्रवाह बढ़ाके में शक्ति प्रदान करता है।
  • कंधो, घुटनो और पैर के दर्द से राहत दिलाता है।
  • वजन कम करने में असरकारक आसन है।
  • मेटाबोलिज्म बढ़ने के वजह से वजन अपने आप कम होता है।
  • स्ट्रैचिंग वाला आसन होने के कारण शरीर का लचीलापन बढ़ाता है।
  • सुबह Natraj Aasan करने पर पूरा दिन ताजगी और स्फूर्ति महसूस होती है।

आखरी शब्द

यदि आपको बॅलन्स बनाना नहीं आता या मोटापा की समस्या ज्यादा है। तो पहले दूसरे आसन से शुरुआत करे, जैसे पहले आप धनुरासन, गोमुखासन, उष्ट्रासन, वीरासन, वृक्षासन कर सकते है। और कोई मेडिकल समस्या में डॉक्टर की सलाह अनुसार आसन करे।

आशा करती हु नटराज आसन की पूरी जानकारी देने में सफल रही हु। मिलते है अपने नेक्स्ट पोस्ट में तब तक टेक केयर।

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