अनुलोम विलोम कैसे करें, फायदे क्या है Anulom Vilom Pranayam

प्राणायाम मूल संस्कृत शब्द है, प्राण का अर्थ है सांस और आयम का मतलब सांस लेना या छोड़ना। सामान्य शब्दों में कहे तो सांस को नियंत्रित करने की प्रक्रिया को प्राणायम कहते है। प्राचीन भारत से मशहूर प्राणायम आज पूरी दुनिया में लोकप्रिय है। नाड़ियो की शुद्धि और शरीर में ऑक्सीजन स्तर बढ़ाने के लिए Anulom Vilom Pranayam किया जाता है।

अनुलोम विलोम कैसे करें, फायदे क्या है Anulom Vilom Pranayam

सांसो की गति स्थिर होने से मन भी स्थिर रहता है। इसी वजह से योग में सांसो का नियंत्रण करने में खास ध्यान दिया जाता है। सही तरीके से प्राणायाम किया जाये तो बहुत से रोग दूर होते है। लेकिन प्राणायम गलत तरीके से करने से कुछ रोग हो सकते है। इस पोस्ट में बतायेगे की अनुलोम विलोम सही तरीके से कैसे करना है।

अनुलोम विलोम कैसे करें Anulom Vilom

प्राणायम करने से पहले एक शांत जगह पसंद कर लेनी चाहिए। जहा शोर, गंदकी या कोई प्रदूषण न हो। हो सके तो एक शांत कमरा या खुली हरियाली वाली जगह पसंद कीजिये। वहा अपना आसन बिछा के बैठ जाये। पर सबसे पहले यह जान ले की अनुलोम विलोम क्या होता है।

अनुलोम विलोम क्या है

सांस और आयाम याने साँसों में दुरी बढ़ाना श्वास और निश्वास की गति को नियंत्रण कर रोकने और निकालने की क्रिया को प्राणायाम कहा जाता है। श्वास को गति और लय के साथ खींचना और निकालना प्राणायाम में करना होता है। सांस गहराई से खींचने और निकलने के कारण हमें ज्यादा ऑक्सीजन मिलता है, इससे हमारे फेफड़े मजबूत बनते है और हमे स्फूर्ति महसूस होती है।

अनुलोम का मतलब है अंदर खींचना और विलोम का मतलब है बाहर निकलना। इसमें बार-बार साँसों को अंदर खींचना और बाहर गति के साथ निकलना होने की वजह से इसे अनुलोम विलोम कहा जाता है। अनुलोम विलोम आसान होने की वजह से लोगो में बहुत लोकप्रिय है। प्राणायाम करने के लिए सुबह तथा शाम का समय उत्तम माना जाता है।

अनुलोम विलोम करने का तरीका

प्राणायाम करने के लिए हमे तीन चीजों से परिचित होना चाहिए।

  • सांस को फेफड़े में भरना उसे कहते है पूरक।
  • सांसो को रोके रखने को कहते है कुम्भक।
  • सांस को बाहर निकलना कहते रेचक।

अब निचे बताई जानकारी अनुसार स्टेप्स फॉलो करे ताकि आप सही तरह से Anulom Vilom Pranayam कर पाए।

अनुलोम विलोम करने का तरीका

  1. अनुलोम विलोम करने के लिए पहले पद्मासन या ध्यानासन में बैठ जाए।
  2. बाए हाथ को बाए पैर के घुटनो पर ज्ञानमुद्रा में रखिये। कमर और पीठ को सीधी करले और आँखों को बंद करे।
  3. अब दाए हाथ के अंगूठे से दाहिनी नासिका को दबा के बंध करे और धीरे-धीरे बाई नासिका से गहरी सांस लेना शुरू करे। आप चाहे तो 5 तक गिनती पूरी करते-करते सांस को अंदर ले।
  4. अब दाए हाथ की दूसरी और तीसरी ऊँगली से बाई नासिका को बंद कर ले।
  5. थोड़ी देर तक साँसों को अंदर रोक कर रखे फिर अँगूठे को खोल दे और धीरे -धीरे सांस को बाहर निकाले।
  6. दाए नासिका से धीरे-धीरे सांस भरे और दाए अंगूठे से नासिका को बंद कर ले। फिर से सांसो को अंदर रोक रखे और हलके से बाए नासिका से उंगलिया खोल के सांस निकाले।
  7. इस प्रकार अनुलोम विलोम प्राणायाम का एक आवर्तन पूरा हुआ कहलायेगा।
  8. इसी प्रक्रिया को फिर से दोहराये और इसी प्रकार 5 बार करे या फिर इस से ज्यादा बार भी कर सकते है।
  9. 5 मिनट तक प्राणायाम करे और धीरे-धीरे समय बढ़ाते जाये रोजाना 10 मिनट प्राणायाम करने से शरीर की आंतरिक सफाई हो जाती है।
  10. रोजाना प्राणायाम का अभ्यास करने से फर्क आप खुद महसूस करेंगे।

सावधानी रखनेवाली बाते

  • सांस लेने, रोकने और छोड़ने में जबरजस्ती या जल्दबाजी ना करे। प्रक्रिया के दौरान योग्य मात्रा में सांस को खींचे और छोड़े।
  • दिन में किसी भी वक़्त खाली पेट प्राणायाम कर सकते है।
  • बाए नासिका से ही पहले सांस लेना शुरू करे, ताकि सम्पूर्ण प्रकिया में आसानी रहे।
  • कभी भी दोनों नासिका को एकसाथ खुला न छोड़े।
  • प्राणायाम के दौरान कान में एयरप्लग न रखे।
  • आखे बंद ही रखे ध्यान सिर्फ साँसों के आने जाने पर लगाए।
  • हृदय और फेफसो की बीमारी में प्राणायम करने से दूर रहे।
  • खड़े हो कर प्राणायाम न करे इस से कोई फायदा नहीं होता।
  • गर्भावस्था के दौरान या उसके कुछ दिनों बाद प्राणायाम ना करे।

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अनुलोम विलोम के फायदे

  • दिमाग के दोनों हिस्सों का समान विकास होता है।
  • तनाव को दूर कर देता है और यादशक्ति को बढ़ाता है।
  • Anulom Vilom करने से रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है।
  • मानसिक एकाग्रता को बढ़ाके ध्यानकेंद्रित करने में सहयता करता है। जो अभ्यास के लिए उपयोगी है।
  • इंसान शांत हो कर क्रोध से दूर रहता है, जिससे रात में सुकून वाली नींद आती है।
  • पुरे दिन ताजगी और स्फूर्ति का अनुभव होता है।
  • सम्पूर्ण शरीर में ऑक्सीजन अच्छी तरह से कार्य करता है और खून भी साफ़ होता है।
  • महिलाओ के लिए आंतरिक सफाई और बाह्य खूबसूरती के लिए ये लाभदायक है।
  • फेफसो में हवा भरने के कारण फेफसे बलवान बनते है।
  • प्राणायाम से शरीर के टॉक्सिक द्रव्य बहार निकल जाते है।
  • रात को सोते समय प्राणायाम करने से आप हल्का और तनावमुक्त महसूस करेंगे।
  • वायु,पित्त तथा कफ तीनो की मात्रा संतुलित रहने के कारण उनके असंतुलन से होनेवाले विकार से बचा जा सकता है।

अब आपको पता लगाना है की प्राणायम सही तरीके से हुआ है या नहीं। अगर आपका नाक थोड़ा गीला महसूस होता है तो ये बताता है प्राणायाम सही हुआ है।

आशा करती हु अनुलोम विलोम प्राणायाम पर पूरी जानकारी देने में सफल रही हु। मिलते है अपनी नेक्स्ट पोस्ट में तब तक टेक केयर।

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