हमारे देश से लेकर अनेक देशो में प्रचलित योगा असंख्य स्वास्थ्य संबंधित समस्याए दूर करने में सहायक है। आचार्य पतंजलि द्वारा लिखित कही पुस्तकों में योगा के बारे में अधिक जानकारिया दी गयी है। उस अनुसार अष्टांग योग का तीसरा अंग आसन होता है। सेहत के लिए लाभकारी अनेक आसनो में से एक है कुक्कुटासन (Kukut aasan) जिसके बारे में यहाँ विस्तार से बता रहे है।
आसन का अर्थ होता है शारीरिक स्वस्थ्य, मानसिक एकाग्रता और आध्यात्मिक उन्नति के लिए बनाई हुई एक स्थिर बैठक। कुक्कुटासन के लाभ में शरीर और मन दोनों को सुव्यवस्थित करने की क्षमता है। यह आसन कही लोगो के लिए कठिन है, पर यहाँ हमने कुक्कुटासन करने का आसान तरीका बताया है।
कुक्कुटासन क्या है Kukut Aasan Kya Hai
अगर पहले से ही आप दूसरे आसन और गर्भासन सीखे हुए होंगे तो कुक्कुटासन करने में आसानी रहेंगी। पर सबसे पहले जान लेना जरुरी है के कुक्कुटासन क्या है।
यह आसन की पूर्ण स्थिति में शरीर का आकार कुकुट जैसा बन जाता है। कुकुट याने मुर्गा इस आसन में पद्मासन में बैठ कर दोनों हाथो के सहारे शरीर को मुर्गे की तरह ऊपर उठाना होता है। इसलिए इस आसान को कुक्कुटासन कहते है।
संस्कृत शब्द कुक्कुट से यह शब्द लिया गया है जिसका सामन्य अर्थ मुर्गा होता है। और आसन को योग करने की मुद्रा कहा जाता है, जिस वजह से इसे कुक्कुटासन कहते है।
कुक्कुटासन करने का आसन तरीका
आसन करने से पहले एक साफ़ और शांत जगह पसंद करे। फिर मन और शरीर को पूर्ण रूप से शांत कर लीजिये। अब जानते है Kukut Aasan कैसे किया जाता है, हमने यहाँ कुक्कुटासन करने के 2 तरीके बताये है। आपको जो सही लगे वो कर सकते है।
(1) मुख्य तरीका
सबसे पहले चटाई बिछा कर आसन के लिए बैठ जाये, और सामान्य बैठने की स्तिथि ग्रहण करे।
- अपनी जगह पर शांति से बैठ जाये और पद्मासन की स्थिति में आ जाये।
- अब अपने दोनों हाथो को घुटनो के बिच से क्रॉस करके जांधो के निचे निकलना है।
- हथेलियों को जमीन पर टेके रखे और उंगलिया सामने रखे।
- अब धीरे-धीरे सांस लेके दोनों हाथो के बल शरीर को धीमे-धीमे ऊपर उठाये जितना हो सके शरीर को ऊपर उठाये और उसी स्थिति में जितना हो सके ठहरे।
- शुरुआत में 5-10 सेकंड उसी स्थिति में रुकने की कोशिश कीजिये।
- जब तक आप हवा में लटके रहते है तब तक फेफसो में साँसों को रोक के रखना है।
- अब धीरे से बिना झटका दिए शरीर को निचे लाना है तभी आपको साँसों को छोड़ते जाना है।
- पद्मासन खोल दे और मूल स्थिति में आ जाये।
- इसी प्रोसेस को फिर से दोहराये और शुरुआत में 3 से 5 बार कर सकते है।
- पूरी तरह से Kukkutasana सिख जाये फिर अपनी क्षमता अनुसार 5 से अधिक बार कर सकते है।
(2) दूसरा तरीका
- सबसे पहले पद्मासन की स्थिति में आ जाये।
- अब अपने दोनों हाथो को जांधो के बिच से निचे की तरफ कोनी तक बाहर निकाले।
- याद रखे, दाए हाथ को दाए पेरो की जांध और पिंडी के बिच से बाहर की तरफ खींचना है।
- दोनों हाथो को क्रॉस करले और नितंब को छुए अब सिर को आगे की तरफ झुकाते ज़मीन पर टिकाये।
- बाद में दोनों हाथो के पंजो को गोल घुमाकर सीधा करे और उंगलिया सामने की तरफ रखिये।
- सिर को धीरे धीरे ऊपर उठाये और मुख्य आसन में आये।
- इस स्थिति में 10-20 सेकंड तक रुकिए, फिर यथाशक्ति अनुसार आसान को दोबारा दोहराये।
सावधानी रखनेवाली बाते
- आसन करते वक़्त कई लोगो के हाथ शुरू शुरूमे कांपते है जिसकी वजह है कमजोरी। फिर भी धीरज से आसन करना जारी रखे।
- इस आसान की पूर्ण स्थिति में आपको नजरे सीधी और गर्दन को ऊपर उठाके रखना है। उंगलिया बिलकुल सामने और जुडी हुई और पीठ को सीधी रखे। ताकि पीठ दर्द होने की संभावना कम रहे।
- जो लोग हृदय रोग से पीड़ित है वह कुक्कुटासन न करे।
- इस आसन की पूर्ण स्थिति में संतुलन बनाये रखना जरूरी है। वरना सिर के बल गिरने कि या हाथो में मोच आने की संभावना है।
- गर्भावस्था और मासिकधर्म के दौरान यह आसान ना करे।
- खाली पेट Kukkutasana करना लाभकारी माना जाता है।
- कलाई या घुटनो की चोट होने पर, कमजोरी में, पीठ दर्द, उच्च रक्तचाप, अल्सर, हर्निया, हृदय रोग और फेफसो के रोग में यह आसन करना जोखिम भरा है।
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कुक्कुटासन करने के फायदे Benefits Of Kukkutasana
- कुक्कुटासन करने से छाती, बाहे, कलाई, जोड़े और मांसपेशिया मजबूत बनती है। फेफसो को बलवान और छाती को चौड़ी बनाता है।
- आलस कम करके स्फृर्ति प्रदान करता है, थकावट दूर होती है और तनाव को हल्का करता है।
- आंतो की कमजोरी, कब्ज, अपचा खाने में अरुचि दूर करने में उपयोगी आसन है।
- ज्यादा सोने की आदत और सुबह जल्दी उठा नहीं जाता तो यह आसन करना लाभकारी रहेगा।
- वायु, पित्त और कफ संतुलन में रहने के कारण कही रोगो से शरीर मुक्त रहता है।
- मानसिक और ज्ञानतंतु के रोग दूर करने में सहायक है और यादशक्ति को बढ़ाता है।
- मासिक धर्म सम्बंधित परेशानियों में राहत दे कर कमर दर्द को कम करता है।
- अपानवायु को अच्छी तरह नियंत्रित करता है।
- जठराग्नि प्रज्जवलित होती है ,पेट के ज्यादातर रोगो से मुक्ति मिलती है।
- मूलबंध अच्छी तरह से होता है जिस से आध्यात्मिक उन्नति करने में आसानी होती है।
- बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करता है।
आशा करती हु Kukut Aasan की पूरी जानकारी देने में सफल रही हु। मिलते है अपनी नेक्स्ट पोस्ट में तब तक टेक केयर।