Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai | शिव पूजा में क्यों वर्जित है

विश्व में कही फूल अपनी गुणवत्ता के कारण लोकप्रिय है, भारत में फूलो को धार्मिक आस्था के साथ जोड़ा जाता है। लेकिन केतकी का फूल (Ketki Ka Phool) ऐसा है जिसे शिव पूजा में हमेशा से वर्जित किया जाता है। अगर इसे भगवान शिव को चढ़ाया जाए तो उनका क्रोध बढ़ जाता है। इसके पीछे एक नहीं बल्कि तीन कहानिया छीपी है। जिस वजह से Ketki Flower को ज़्यादातर धार्मिक प्रसंगो या पूजाओं से त्याग दिया जाता है।

शिव पूजा में केतकी का फूल (Ketki Ka Phool) क्यों वर्जित है

शिव पुराण में उल्लेख किया गया है की एक महत्व पूर्ण घटना के दौरान केतकी फूल ने झूठ का साथ दिया था। जिससे महादेव शिव बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने, सर्वदा ही केतकी का फूल हमारी पूजा में शामिल नहीं किया जायेगा कहा था। तब से केतकी फूल को शापित माना जाता है। और ऐसी गाथा भी प्रचलित है की जो भी इस फूल को भगवान शिव के मंदिर में चढाने जायेगा उस पर शिवजी क्रोधित होंगे।

केतकी का फूल (Ketki Ka Phool) की जानकारी

ज़्यादातर बारिश के मौसम में केतकी फूल लगता है। इसकी खुश्बू दूसरे फूलो के मुकाबले ज़्यादा तीव्र होती है। माना जाता है की यह फूल शापित होने की वजह कई अधिक जिव-जंतु और भ्रमर इस पर नहीं बैठते। इसकी ज़्यादा जानकारी के लिए जान लेते है की केतकी फूल का पौधा कैसा होता है।

केतकी का पौधा Ketki Flower

चंपक वृक्ष के नाम से प्रसिद्ध केतकी का पौधा छोटा सा सुगंधित झाड़ होता है। इस पौधे के पत्ते लंबे, चपटे, नुकीले, मुलायम और चिकने होते है। जिसके किनारे पर छोटे छोटे कांटे देखने को मिलते है। यह पौधा बगीचों में सुगंध के लिए लगाए जाते है। केतकी का पौधा भारत के कही विस्तारो में उगाया जाता है।

इस फूल के मुख्य दो प्रकार है जो रंग में पीले और सफ़ेद होते है। सफ़ेद रंग के केतकी पुष्प को केवड़ा कहा जाता है। और पीले रंग के पुष्प को सुवर्ण केतकी कहते है।

केवड़ा फूल का महत्व हिंदू धर्म में बहुत है। क्यों की इसके पौधे में साप आश्रय लेते है। पश्चिम बंगाल के लोग केवड़े के पौधे को सर्प रक्षिका मानसी देवी का जन्मस्थान मानते है। और वह केतकी के पौधे की पूजा करते है।

केतकी का फूल कैसा होता है Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai

इंसान किसी भी चीज़ को अपनी दृष्टि की मदद से चित्र के रूप में देख कर जल्दी याद रख लेता है। देखने पर सरलता से समझ आ जाता है क्या और कैसा है। यदि आपने Ketki Flower के बारे में पहली बार सुना है। तो निचे दी गयी फोटोज देख लीजिये, केतकी का फूल ऐसा ही होता है।

केतकी का फूल कैसा होता है Ketki Images

Ketki Images में आप देख सकते है फूल सफ़ेद और पीले रंग से बना है। दिखने में यह काफी काफी सुंदर लगने वाले फूल शिव पूजा में वर्जित है।

केतकी फूल के उपयोग एवं फायदे

आयुर्वेद के अनुसार केवड़ा कही बीमारियों में उपचारक माना जाता है। केतकी और केवड़े के फूल का इस्तेमाल मुख्य रूप से, दवाइया बनाने और मिठाइयों के ऊपर सुगंधित लेप लगाने में होता है। अब जानते है की केतकी और केवड़े को किस तरह से उपयोग में लिया जाता है।

  • भारतीय घरो में रसोई बनाने के लिए कई लोग केवड़ा जल का प्रयोजन करते है।
  • शारीरिक गर्मी दूर करने के लिए आप इस फूल का घरेलू उपचार में ले सकते है।
  • रात को स्वच्छ पानी में केतकी फूल को डुबो दीजिये, और सुबह चंदन को डाल कर शरीर पर लेप लगाए।
  • केवड़ा और केतकी दोनों फूलों को आयुर्वेदिक काढ़ा बनाने में लिया जाता है।
  • त्वचा लक्षी रोग के उपचार में केतकी फूल सहायक है।
  • इन फूलों का लेप लगाने से त्वचा के रोम छिद्र बंद हो जाते है। और यह लेप त्वचा की गहराई से सफाई करने में कारगर है।
  • केवड़े फूल का जल बाल धोने में इस्तेमाल किया जाता है। बालों के सौंदर्य को बढ़ाने में और सुगंधित केशों के लिए यह उपाय फायदेकारक है।
  • यह दोनों फूल एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है, जो स्वास्थ्य सबंधित समस्याओ को आसानी से दूर करते है।

क्यों केतकी का फूल शिव पूजा से वर्जित है

माना जाता है की केतकी का फूल भगवान शिव को बहुत अप्रिय है। दुनियाभर में पाए जाने वाले अनगिनत पुष्पों में से सिर्फ केतकी फूल ही क्यों शिव पूजा से वर्जित किया गया है? इस प्रश्न का सही उत्तर पाने के लिए निचे दी गयी 3 कहानियो को ध्यान से पढ़े।

यहाँ कहानियो के माध्यम से Ketki Flower से जुड़े रोचक इतिहास के बारे में बताया है। यह सभी कहानी पुराने समय से चली आ रही है। जिसके द्वारा Ketki ka phool क्यों वर्जित है, समझ आ जाता है।

(1) ब्रह्मा और विष्णु का विवाद

बात तब की है जब प्रलय के बाद सृष्टि की रचना नहीं हुई थी। तब एक बार ब्रह्माजी और विष्णुजी के बिच एक बहस चल रही थी की उन दोनों में से कौन सबसे महान और पूजनीय है। इन दोनों के क्रोध का असर वातावरण में पड़ने लगा।

ऐसे में भक्तगण दौड़ते हुए भगवान शिव के पास आये और उनसे सहायता मांगी। शिवजी उन दोनों के मध्य प्रकाश के रूप में प्रकट हुए। वह बोले आप दोनों ही इस प्रकश स्तंभ का अंत ढूंढे। जो खोज लेगा वही महान होगा। शिवजी की बात सुन कर ब्रह्मा और विष्णु दोनों प्रकाश स्तंभ की खोज में निकल पड़े।

ब्रह्मा ने श्वेत हंस का और विष्णु ने श्वेत वराह का स्वरूप लिया। हंस रूपी ब्रह्मा ऊपर की तरफ गए और वराह रूपी विष्णु निचे की तरफ गए। लंबे समय तक ढूंढने के बाद भी विष्णुजी को अंत नहीं मिला तो वह वापस लौट आए।

वही दूसरी तरफ जब ब्रह्माजी ऊपर की तरफ जा रहे थे तब उन्हें रास्ते में ऊपर से गिरता हुआ केतकी का फूल मिला। केतकी ने ब्रह्माजी को कहा की इस प्रकाश लींक का कोई अंत नहीं है। ब्रह्माजी ने केतकी को पूरी बात बताई और कहा में हारना नहीं चाहता। तुम सबको बताना की प्रकाश स्तंभ के अंत में ब्रह्माजी को में मिली।

वापस आ कर ब्रह्माजी ने विष्णुजी और सभी को प्रकाश स्तंभ की बात कही, प्रमाण के स्वरूप में केतकी ने भी झूठ कहा। तभी शिवजी वहा प्रगट हुए और बोले, यदि प्रकश लिंक का कोई अंत नहीं है तो आपने कैसे ढूंढा आप असत्य बोल रहे है। और भगवान शिव ने ब्रह्माजी को श्राप दिया की धरती पर कभी आपकी पूजा नहीं होंगी। मेरी अर्चना में कभी केतकी का फूल नहीं होगा।

(2) सीता का श्राप

वनवास के दौरान राम, सीता और लक्ष्मण पिता दशरथ का पितृ श्राद्ध करने वाले थे। लक्ष्मण श्राद्ध की सामग्रियां लेने के लिए गांव की ओर गए थे। लेकिन वह जल्दी नहीं आये इसलिए उनको ढूंढने के लिए श्रीराम गांव की तरफ गए। पर वह भी जल्दी न लौटे, श्राद्ध का समय निकला जा रहा था। तभी सीता ने मन में निश्चय कर लिया की वही श्राद्ध कर लेंगी। उन्होंने घर में उपलब्ध सामग्री इकठी की और पितृ संस्कार करने की विधि में लग गयी।

सीता ने सबसे पहले फल्गु नदी में स्नान कर लिया। और भिगो वस्त्रो में मिट्टी का दिया जला कर पूर्वजो को पिंड अर्पित किया। तभी आकाशवाणी हुई की हे सीता हम आपके ससुर है, हम आपकी विधि से संतुष्ट और प्रसन्न है। सीता ने प्रश्न किया की श्रीराम और लक्ष्मण उनकी बातों पर कैसे यकीन करेंगे। आकाशवाणी हुई की फल्गु नदी, गाय, अग्नि और केतकी का वृक्ष तुम्हारा साक्षी रहेगा।

श्रीराम और लक्ष्मण के आने के बाद सीता उनको सब बात बताई लेकिन उन्होंने सीताजी पर अविश्वास जताया। सभी साक्षीओ ने सच कहने से इन्कार कर दिया। जब वह लोग पितृ श्राद्ध करने फिर से बैठे तभी आकाशवाणी हुई की। सीता ने पितृ श्राद्ध पूर्ण किया है, श्रीराम ने सीता पर किये गए अविश्वास की शर्मिंदगी जताई। सीता ने क्रोधित हो कर चारो साक्षीओ को श्राप दिया। जिसमे केतकी को श्राप मिला की धार्मिक, शुभ प्रसंगो में वह कभी शामिल न हो।

(3) चंपक का पेड़ और नारद

एक बार नारदजी भ्रमण करते हुए पोखरण के प्रसिद्ध शिव मंदिर में जा रहे थे। तभी उन्होंने रास्ते में सुंदर पुष्पों से सजा हुआ वृक्ष देखा। नारदजी इस खूबसूरत केतकी फूल को शिव मंदिर में चढ़ाना चाहते थे। लेकिन तभी एक ब्राह्मण वहा आया। नारदजी ने ब्राह्मण से पूछा की आप कहा जा रहे है। ब्राह्मण ने झूठ कहा की वह भिक्षा मांगने के लिए जा रहा है। नारद जी जब चले गए तब उस ब्राह्मण ने चोरी छुपे उस फूल को तोड़ लिया।

मंदिर से वापस आते वक्त नारदजी को फिर से वह ब्राह्मण मिला। फिर उन्होंने वही प्रश्न दोहराया ब्राह्मण बोला की में घर जा रहा हु। नारदजी को ब्राह्मण की बात सही नहीं लगी। तब नारदजी ने चंपक वृक्ष से कहा क्या किसी ब्राह्मण ने तुम्हारे फूल चुराए है। वृक्ष ने उत्तर दिया नहीं तो में किसी ब्राह्मण को नहीं जानता और न ही किसी ने मेरे फूल चुराए है। कुछ सोचते हुए नारदजी फिर मंदिर की ओर चल पड़े।

वहा शिवलिंग पर खूबसूरत केतकी फूल को देखकर एक भक्त से नारदजी ने सवाल किया की यह कौन लाया। उसने उत्तर दिया वही दुष्ट ब्राह्मण लाया है, जिसने कपट कर के पोखरण के राजा को अपने चंगुल में फसाया है। तब नारदजी ने शिवजी को प्रश्न किया की आप वह दुष्ट का साथ क्यों देते है। शिवजी ने कहा की वह रोज चंपक के सुंदर फूल से मेरी पूजा करता है।

नारदजी जल्दी से चंपक वृक्ष की तरफ गए। उन्होंने श्राप दिया की अब से कभी भी शिवजी को केतकी का फूल नहीं चढ़ाया जायेगा। साथ ही उस दुष्ट ब्राह्मण को भी श्राप दिया की वह दूसरे जन्म में राक्षस बने।

सवाल जवाब (FAQ)

केतकी फूल से जुड़े अधिकतर महत्वपूर्ण सवालो के जवाब निचे दिए है।

(1) केतकी का दूसरा नाम क्या है?

भारत में कही लोग इसे “केवड़ा” नाम से भी जानते है। जिसमे केवड़ा शब्द खास केतकी फूल में रहे सफ़ेद फूल के लिए उपयोग किया जाता है।

(2) केतकी का पेड़ कौन सा है?

केतकी पेड़ में पत्तिया लंबी, नुकीली और कोमल होती है। इसके किनारे पर छोटे-छोटे कांटे भी होते है। इन सबके बिच सुंदर केतकी फूल का निर्माण होता है।

(3) शिव जी को कौन सा फूल नहीं चढ़ाना चाहिए?

भारत के अधिकतर स्थानों पर केतकी का फूल शिव जी को चढाने से निषेध है। इस फूल को मिले श्राप के कारण इस शिव पूजा में उपयोग करना सही नहीं है।

(4) साल 2023 में महाशिवरात्रि कब है?

2023 में आने वाली महाशिवरात्रि 18 फरवरी को है। जिसमे जरूर याद रखना है की भगवन शिव को केतकी का फूल नहीं चढ़ाना।

(5) केतकी फूल को इंग्लिश में क्या कहते है?

इंग्लिश भाषा अनुसार पुरे विश्व में केतकी फूल को Screw Pine के नाम से जाना जाता है।

आशा करती हु केतकी फूल (Ketki Ka Phool) के बारे में अच्छी जानकारी दे पायी हु। अन्य लोगो को भी माहितगार करने के लिए पोस्ट को शेयर जरूर करे।

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