माइटोकांड्रिया की खोज किसने की थी Mitochondria Ki Khoj Kisne Ki

कोशिकाओं को जीवित रहने के लिए माइटोकांड्रिया की जरूरत पड़ती है। यह शरीर की कोशिकाओं को ऊर्जा देने का कार्य करता है। माइटोकांड्रिया की खोज सबसे पहले अल्बर्ट वॉन कोलिकर ने की थी। हर सजीव की कोशिकाओं में यह पाया जाता है।

माइटोकांड्रिया की खोज किसने की

इसे कोशिका का पावर हाउस भी कहा जाता है। यूकैरियोटिक कोशिका के द्रव्य में अनेक छोटी गोलाकार कणिका पायी जाती है। इस कणिकामय रचना को माइटोकांड्रिया के नाम से जाना जाता है। इसकी खोज को लेकर अनेक मत मतांतर भी है।

माइटोकांड्रिया क्या है Mitochondria Kya Hai

आमतौर पर हर एक प्राणी और मनुष्य में कोशिकाए होती है। ऐसी कोशिकाओं को जीवित रहने के लिए जो ऊर्जा प्रदान करता है, वह माइटोकांड्रिया है। सामान्य शब्दों में कहे तो बिजली को जैसे पावर हाउस की जरूरत होती है।

उसी तरह कोशिकाओं को जीवित रखने के लिए माइटोकांड्रिया की जरूरत पड़ती है। माइटोकांड्रिआन कोशिका के कोशिका द्रव्य में में दोहरी झिल्ली से घिरा होता है। माइटोकांड्रिया के भीतर आनुवांशिक पदार्थ के रूप में डीएनए (DNA) पाया जाता है।

डीएनए के कारण माइटोकांड्रिया अपने प्रोटीन और एंजाइमों का उत्पादन खुद कर सकता है। माइटोकांड्रिया में ऊर्जा का रसायनिक स्वरूप एटीपी यानि एडिनोसिन ट्राइफॉस्फेट (Adenosine Triphosphate) है।

माइटोकांड्रिया की खोज Mitochondria Ki Khoj Kisne Ki

वैसे तो माइटोकांड्रिया को लेकर कही विद्वानों ने मत्वपूर्ण संशोधन किया है। उनमे से सबसे पहले अल्बर्ट वॉन कोलिकर का नाम आता है। जिन्होंने 1857 में सबसे पहले माइटोकांड्रिया की खोज की थी।

स्विट्जरलैंड के इस शरीर विज्ञान शास्त्री ने शरीर की कोशिका में मौजूद माइटोकांड्रिया की जानकारी दी थी। उनकी इस महत्व पूर्ण जानकारी के मुताबिक ही अन्य विज्ञानिको ने इस विषय पर संशोधन किया।

निचे हमने किस वैज्ञानिक ने कोनसे साल में संशोधन उसकी जानकारी सरलता से समझायी है।

  • अल्बर्ट वॉन कोलिकर – 1857
  • रिचर्ड अल्टमैन – 1886
  • कार्ल बेडा – 1898
  • कार्ल्स बेन्द्रा – 1898
  • फ्रेडरिक मेवेस – 1904
  • बेंजामिन किंगसबरी – 1912

इन सब वैज्ञानिको ने माइटोकांड्रिया की खोज से लेकर नाम और जानकारी तक सब कुछ दिया था। कही संशोधनकर्ता के मुताबिक, माइट्रोकान्ड्रिया के द्वारा मानव इतिहास का अध्ययन और खोज भी की जा सकती है।

माइटोकांड्रिया का कार्य Mitochondria Ka Kary

प्रोकैरियोटिक नाम की कोशिका में माइटोकांड्रिया रचना वाले मीसोसोम (Mesosome) होते है। जो श्वषन और कोशिका विभाजन का कार्य करते है। इसे सेल के पावर हाउस के रूप में भी जाना जाता है। क्यों की माइटोकांड्रिया की प्रक्रिया द्वारा शरीर के लिए पर्याप्त ऊर्जा-शक्ति का निर्माण होता है। Mitochondria कोशिकाओं में भोजन पदार्थो का ऑक्सीजन स्थान है ऐसा माना जाता है।

एक संशोधन अनुसार पाया गया है की शरीर के जिस भाग में ऊर्जा की ज़्यादा आवश्यकता होती है। वहा अधिक मात्रा में माइटोकांड्रिया पाए जाते है। कोशिकीय श्वसन में माइटोकांड्रिया आता है जो ऑक्सीजन को जला कर ऊर्जा पैदा करने का काम करता है। माइटोकॉन्ड्रिया का मुख्य कार्य कोशिका के लिए ऊर्जा का उत्पादन करना है।

सवाल जवाब

इस माइटोकॉन्ड्रिया के विषय को लेकर लोगो के दिमाग कही प्रकार के प्रश्न खड़े होते है। उनमे से मुख्यतर सवालो के जवाब हमने निचे बताए है।

माइटोकांड्रिया में कौन सा प्रोटीन पाया जाता है?

ऐसी कोशिकाओं में क्रेब्स चक्र एंजाइम, श्वसनकारी एंजाइम वाला प्रोटीन पाया जाता है। इसमें कुल माइटोकॉन्ड्रियन प्रोटीन का लगभग 2/3 भाग होता है।

माइटोकांड्रिया के कितने कार्य होते है?

इस माइटोकांड्रिया का सबसे बड़ा कार्य कोशिकाओं को ऊर्जा पहुचाना है। कोशिका विकास के लिए भी यह उपयोगी होता है।

माइटोकॉन्ड्रिया की खोज कब हुई?

ऊर्जा निर्माणक माइटोकांड्रिया की खोज 1857 में हुई थी। स्विट्जरलैंड के शरीर विज्ञानी अल्बर्ट वॉन कोलिकर इसके सौप्रथम खोजकर्ता थे।

माइट्रोकांड्रिया का पावर हाउस क्यों कहा जाता है?

सभी कोशिकाओं को ऊर्जा एवं विकास के लिए माइटोकांड्रिया उपयोगी बनता है। यह कोशिकाओं को ऊर्जा देने का कार्य करता है जिस कारण इसे पावर हाउस कहा जाता है।

आशा करती हु माइटोकांड्रिया की खोज किसने की (Mitochondria Ki Khoj Kisne Ki) अच्छे से बता पायी हु। मिलते है अपनी नेक्स्ट पोस्ट में तब तक टेक केयर।

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